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बढ़ने लगा सेंट्रल विस्टा का खर्च!

ByNI Political,
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बढ़ने लगा सेंट्रल विस्टा का खर्च!
सरकारी परियोजनाओं का खर्च बढ़ना आम बात है। अक्सर ऐसा होता है कि किसी प्रोजेक्ट का शुरुआती अनुमान जितने रुपए का होता है, बाद में उसमें बढ़ोतरी हो जाती है। लेकिन आमतौर पर ऐसा तब होता है, जब प्रोजेक्ट किसी कंपनी को अवार्ड हो जाए और उसके निर्माण में किसी वजह से देरी हो। कुछ कंपनियां भी अधिकारियों से मिलीभगत करके पहले सस्ते में प्रोजेक्ट लेती हैं और बाद में उसका खर्च बढ़ा देती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर इसके खिलाफ बोलते रहे हैं और उन्होंने कई बार कहा कि अमुक परियोजना इतने की थी, जो बढ़ कर इतने की हो गई, लेकिन उनकी सरकार ने उसे रिकार्ड समय में पूरा कराया। हैरान करने वाली बात है कि प्रधानमंत्री के पसंदीदा प्रोजेक्ट- सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट, जिसे उन्होंने कोरोना वायरस की महामारी के बावजूद रोका नहीं है उसका खर्च निर्माण शुरू होने से पहले ही बढ़ने लगा। इस परियोजना का अनुमानित खर्च पहले 11 हजार 794 करोड़ रुपए का था। बताया जा रहा है कि यह खर्च अब बढ़ कर 13 हजार 450 करोड़ रुपए का हो गया है। अभी इसका निर्माण शुरू से पहले की कई औपचारिकताएं बाकी हैं। इसके बावजूद खर्च में करीब साढ़े 16 सौ करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हो गई। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में अभी सिर्फ एक, नए संसद भवन के निर्माण का काम आवंटित हुआ है। टाटा समूह इसका निर्माण कर रहा है। संसद भवन के अलावा सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में प्रधानमंत्री आवास और प्रधानमंत्री कार्यालय का निर्माण भी होना है और उप राष्ट्रपति के लिए भी वीपी इन्क्लेव बनना है। इसके साथ साथ कई और इमारतें बननी हैं, जिनमें सरकारी कार्यालय होंगे। इंडिया गेट से लेकर विजय चौक तक बोट क्लब के आसपास यह पूरा निर्माण होगा। बहरहाल, सेंट्रल विस्टा के लिए जो प्रस्ताव केंद्रीय लोक निर्माण विभाग यानी सीपीडब्लुडी की ओर से पर्यावरण मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति के पास भेजा गया है उसमें पीएमओ का जिक्र नहीं है। हालांकि सीपीडब्लुडी ने साफ कर दिया है कि सेंट्रल विस्टा से पीएमओ को बाहर रखने का कोई सवाल ही नहीं है। पीएमओ के इस प्रस्ताव से बाहर होने के बावजूद खर्च में डेढ़ हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की बढ़ोतरी से विशेषज्ञ भी हैरान हैं। माना जा रहा है कि यह शुरुआत है और खर्च साढ़े 13 हजार करोड़ रुपर नहीं रूकने वाला है। क्योंकि परियोजना में कम से कम दो साल पहले ही देरी हो चुकी है। पहले इस पूरी परियोजना को 2024 में पूरा होना था लेकिन अब कहा जा रहा है यह 2026 तक पूरी होगी क्योंकि अभी तो सुप्रीम कोर्ट की ही रोक लगी हुई है। सो, इसमें और देरी हो सकती है और तब इसका खर्च भी बढ़ेगा।
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