कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के लिए बहुत अच्छा मौका है। भारतीय जनता पार्टी के एक जानकार कार्यकर्ता का ही कहना है कि कर्नाटक में पार्टी के अंदर ऐसी गुटबाजी है कि अगर कांग्रेस के नेता आपस में न लड़ें तो भाजपा हार जाएगी। असल में कर्नाटक में कई गुट बन गए हैं। पहले दो गुट थे। बीएस येदियुरप्पा एक गुट का नेतृत्व करते थे और दूसरा गुट उनके विरोधियों का था। एक समय उस गुट का नेतृत्व अनंत कुमार करते थे लेकिन उनके निधन के बाद उस गुट का कोई सर्वमान्य नेता नहीं रहा। लेकिन अब प्रदेश की राजनीति बदल गई है और कई गुट बन गए हैं।
मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई को येदियुरप्पा का करीबी माना जाता है लेकिन सबको पता है कि मुख्यमंत्री की अपनी ताकत होती है और जिसको भी कुर्सी पर बैठा दिया जाए उसके समर्थकों का एक गुट बन जाता है। तो अब येदियुरप्पा गुट के साथ साथ एक मुख्यमंत्री का गुट है और एक इन दोनों का विरोध करने वाले प्रदेश नेताओं का गुट है। एक गुट पार्टी के संगठन महामंत्री बीएल संतोष का है, जो कर्नाटक के ही रहने वाले हैं। बताया जाता है कि उनकी इच्छा भी कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनने की है। सो, वे दिल्ली से अपनी बिसात बिछाते रहते हैं।
भाजपा नेताओं की इस गुटबाजी से कांग्रेस के लिए मौका बन रहा है। पर कांग्रेस की मुश्किल यह है कि खुद कांग्रेस के अंदर की गुटबाजी खत्म नहीं हो रही है। तमाम कोशिश के बावजूद प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के बीच तालमेल नहीं बन पाया है। दोनों शक्ति प्रदर्शन का कोई मौका नहीं चूकते हैं। इस बीच कर्नाटक के ही मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने से एक अलग पहलू जुड़ गया है। वैसे सिद्धरमैया को खड़गे का करीबी माना जाता है लेकिन खड़गे का गुट स्वतंत्र रूप से राजनीति कर रहा है।