भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के कभी संयोजक रहे चंद्रबाबू नायडू एनडीए में वापसी के लिए हाथ पैर मार रहे हैं। कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन के साथ जाने का इरादा उन्होंने छोड़ दी या कह सकते हैं कि भाजपा विरोधी गठबंधन से उनका मोहभंग हो गया है। उन्होंने शनिवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि इस बैठक में भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद थे। यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा के शीर्ष नेताओं से नायडू की यह पहली मुलाकात नहीं थी, बल्कि पिछले कई महीनों से मुलाकातों का सिलसिला चल रहा है और गठबंधन पर बात हो रही है।
असल में आंध्र प्रदेश की स्थिति भाजपा के लिए बहुत अलग है। राज्य में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस के नेता और मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति बहुत सद्भाव रखते हैं। वे सार्वजनिक रूप से मोदी के पैर छू चुके हैं। वे हर मुद्दे पर केंद्र सरकार का समर्थन करते हैं। भाजपा की प्रदेश कमेटी उनके खिलाफ लड़ती है लेकिन उनको इसकी परवाह नहीं है क्योंकि आंध्र में भाजपा कोई बड़ी ताकत नहीं है। लेकिन अगर नायडू के साथ भाजपा का तालमेल होता है तो स्थितियां बदलेंगी। फिर जगन को भी भाजपा के खिलाफ लड़ना होगा।
बहरहाल, पिछले कुछ समय से नायडू और उनका विस्तारित परिवार किसी न किसी तरह से अमित शाह या दूसरे भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं। उनकी करीबी रिश्तेदार डी पुरंदेश्वरी पहले से भाजपा में हैं और पार्टी की महामंत्री हैं। पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव में चंद्रबाबू ने भाजपा उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया था और अभी हाल में नए संसद भवन के उद्घाटन में भी उनकी पार्टी ने भाजपा का साथ दिया और कार्यक्रम में शामिल हुई। कर्नाटक के चुनाव नतीजों के बाद भाजपा को दक्षिण की राजनीति में मजबूत सहयोगी की जरूरत महसूस हो रही है। इसलिए संभव है कि दोनों पार्टियों में तालमेल हो जाए। लेकिन इस बार भाजपा पहले की तरह कम सीटों पर तालमेल नहीं करेगी। उसकी हिस्सेदारी बढ़ेगी।