ऐसा लग रहा है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने नेतृत्व के विवाद को सुलझा लिया है। लेकिन असल में ऐसा नहीं है। अब भी मामला अंदर अंदर सुलग रहा है और उसका संकेत यह है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का छत्तीसगढ़ जाने का कार्यक्रम अभी तक नहीं बना है। पिछली बार जब छत्तीसगढ़ का नाटक दिल्ली में चल रहा था और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 55 विधायकों को दिल्ली बुला कर शक्ति प्रदर्शन किया था तब खुद बघेल ने कहा था कि राहुल गांधी जल्दी ही छत्तीसगढ़ का दौरा करेंगे। यह बात कह कर उनके लौटे हुए दो हफ्ते से ज्यादा हो गए लेकिन अभी तक राहुल का दौरा नहीं हुआ और हाल-फिलहाल दौरे का कोई कार्यक्रम भी नहीं बना है। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि राहुल अभी तुरंत राज्य का दौरा करके बघेल को और मजबूत नहीं करना चाहते हैं। chhattisgarh congress bhupesh baghel
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हालांकि बघेल ने यह मैसेज देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है कि उन्हें पार्टी आलाकमान से अभयदान मिल गया है और उनकी सत्ता पांच साल के लिए स्थायी हो गई है। दिल्ली लौट कर वे अमरकंटक गए और भगवान शिव की पूजा की। उसके बाद राजधानी लौटे तो आनन-फानन में दो दर्जन आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के तबादले कर दिए। उन्होंने पिछले दिन कुल एक सौ अधिकारियों के तबादले किए। दूसरी ओर उनकी सत्ता को चुनौती दे रहे स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव चुप होकर बैठ गए हैं। इससे भी अंदाजा लग रहा है कि नेतृत्व का मामला ठंड़ा पढ़ गया है। पर कांग्रेस के जानकार नेताओं का कहना है कि पार्टी हाईकमान ने अभी बघेल को निगरानी में रखा है और नेतृत्व का मसला अब भी खुला हुआ है।
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