चीन मामूली बातों को भी संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाता रहता है। भारत ने पिछले साल कश्मीर के बारे में फैसला किया तो चीन ने इसे भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाया, बल्कि उसने इस मसले पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद की बैठक बुलवाई, जबकि वह शुद्ध रूप से भारत का आंतरिक मामला था। पर इस समय पूरी दुनिया अब तक के सबसे बड़े संकट से जूझ रही है तब इस मसले पर संयुक्त राष्ट्र संघ में चर्चा नहीं हो रही है और न संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद की बैठक हो रही है। ध्यान रहे इस समय सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता चीन के पास ही है।
पिछले दिनों एक छोटे से देश इरिट्रिया ने कोरोना वायरस के मसले पर संयुक्त राष्ट्र संघ में चर्चा की मांग की थी। उसने सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने की भी मांग की थी। पर किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया और उसकी मांग आई-गई हो गई है। असल में यह बैठक इसलिए नहीं हो रही है क्योंकि अगर इस मसले पर सुरक्षा परिषद में चर्चा होती है तो चीन की भूमिका पर सवाल उठेंगे। संयुक्त राष्ट्र संघ की एजेंसियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में आएगी। चीन के सबसे बड़े वायरोलॉजी लैब, वुहान इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी के बारे में बातें होंगी।
चीन यह सब नहीं चाहता है। तभी वह सुरक्षा परिषद की बैठक नहीं होने देना चाहता और पता नहीं किस मजबूरी में सारी दुनिया भी इस बात की अनदेखी किए हुए है। ऐसा लग रहा है कि दवा से लेकर तमाम दूसरी चीजों में इस्तेमाल होने वाले कंपोनेंट्स की सप्लाई चेन पर चीन की पकड़ इतनी मजबूत है कि संकट के इस समय में कोई भी देश उसे नाराज करना नहीं चाहता। भारत और अमेरिका भी चुपचाप उसकी मनमानियां देख रहे हैं।