चीन ने हाइपरसोनिक विमान का परीक्षण किया है या हाइपरसोनिक न्यूक्लियर मिसाइल का परीक्षण किया है, यह रहस्य सुलझा नहीं है। चीन ने कहा है कि उसने मिसाइल का नहीं, बल्कि विमान का परीक्षण किया है। लेकिन दुनिया को इस पर यकीन नहीं है। कोरोना वायरस की उत्पत्ति और पूरी दुनिया में उसके प्रचार में चीन की भूमिका ने पूरी दुनिया को उसके प्रति संदिग्ध बना दिया है। इसलिए किसी को उसकी सफाई पर यकीन नहीं हो रहा है। लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि अमेरिका की इतनी सजगता और खुफिया एजेंसियों पर उसके भारी भरकम खर्च के बावजूद उसे पता नहीं चल सका कि चीन ने क्या किया है।
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ध्यान रहे अमेरिका की 18 खुफिया एजेंसियां हैं, जो पूरी दुनिया में काम करती हैं। इन एजेंसियों को ही अमेरिका का डीप स्टेट माना जाता है। समझा जाता है कि इनकी वजह से दुनिया की कोई भी घटना अमेरिका की नजर से नहीं छिपी रहती है। अमेरिका इन पर 85.8 अरब डॉलर हर साल खर्च करता है। अमेरिका और चीन को छोड़ कर यह रकम दुनिया के किसी भी देश के समूचे रक्षा खर्च से ज्यादा है। इसके बावजूद अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को न कोरोना की उत्पत्ति की जानकारी मिली, न तालिबान के काबुल पहुंचने का समय से इल्म हुआ और न चीन के मिसाइल परीक्षण की जानकारी मिली।
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