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चिराग पासवान की मुश्किलें बढ़ेंगी

ByNI Political,
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चिराग पासवान की मुश्किलें बढ़ेंगी
ऐसा लग रहा है कि लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है। उन्होंने पिछले साल बिहार विधानसभा के चुनाव में बड़ा दांव खेला था। एनडीए में रहते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान किया और जिन सीटों पर जदयू के उम्मीदवार लड़ रहे थे उन पर चिराग ने लोजपा का भी उम्मीदवार उतारा। लोजपा की वजह से करीब 35 सीटों पर नीतीश के उम्मीदवार हारे। इसी वजह से जदयू महज 43 सीटों की पार्टी बन कर रह गई और एनडीए के अंदर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन कर राज्य की राजनीति में बड़े भाई की भूमिका में आ गई। भाजपा ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री जरूर बनवा दिया लेकिन सीटें कम होने से नीतीश की पहले जैसी ऑथोरिटी नहीं बन रही है। नीतीश इसका बदला चिराग पासवान से ले रहे हैं। नीतीश की पार्टी के नेताओं का यह भी कहा कि चिराग ने इतना बड़ा दांव अपने दम पर नहीं चला था। दबी जुबान में वे भाजपा की मिलीभगत का आरोप लगा रहे हैं। चुनाव प्रचार में कई बार चिराग ने कहा था कि चुनाव के बाद भाजपा और लोजपा मिल कर सरकार बनाएंगे। भाजपा का आकलन भी ऐसा ही था। लेकिन आकलन फेल हो गया और विधानसभा की तस्वीर ऐसी बन गई कि नीतीश के बगैर किसी की सरकार नहीं बनेगी। अब नीतीश इस स्थिति का फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने भाजपा पर दबाव डाल कर चिराग को अलग थलग कराया है। चिराग की पार्टी के जीते इकलौते विधायक राजकुमार सिंह को जदयू में मिलाने की तैयारी हो रही है तो लोजपा की प्रदेश कमेटी के दो सौ से ज्यादा पदाधिकारियों और सक्रिय कार्यकर्ताओं ने जदयू का दामन थाम लिया है। बिहार में चिराग की पार्टी को नीतीश जड़ से कमजोर कर रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा पर दबाव डाल कर उन्होंने यह भी सुनिश्चित कराया है कि चिराग पासवान केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल न हों। इस बीच उनका बंगला भी खतरे में आ गया है। उनके पिता रामविलास पासवान दशकों तक 12, जनपथ में रहे थे लेकिन अब बंगला खाली करना पड़ सकता है। भाजपा का सद्भाव है, जिसकी वजह से बंगला अभी उनके पास है लेकिन अगर वे मंत्री नहीं बनते हैं तो बंगला खाली करना पड़ सकता है।
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