बांग्लादेश को दक्षिण एशिया में भारत का सबसे नजदीकी और भरोसेमंद सहयोगी माना जाता है। नेपाल से भी ज्यादा। पर संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की तैयारियों ने बांग्लादेश को भारत से दूर कर दिया है। अब दोनों के बीच विवाद और बढ़ रहा है। खबर है कि बांग्लादेश ने पश्चिम बंगाल के मंत्री सिदिकुल्ला चौधरी को वीजा देने से इनकार कर दिया है। चौधरी को गुरुवार को ढाका जाना था पर उनकी यात्रा रद्द हो गई है। उन्होंने कहा है कि बांग्लादेश ने उनको वीजा देने से इनकार कर दिया।
इस बीच बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल्ला मोमिन ने कहा है कि उनकी सरकार बांग्लादेश में रह रहे भारतीयों की पहचान कर रही है और उनको वापस भेजेगी। सोचें, अगर बांग्लादेश 1947 के बाद उसके यहां गए लोगों, जाहिर है उसमे मुस्लिम ज्यादा होंगे, उनको भारत भेजने लगे तो क्या होगा? या पहचान करके उनको डिटेंशन सेंटर में रखने का फैसला करे तो क्या होगा? बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने यह भी कहा है कि भारत उसके बांग्लादेशी नागरिकों की सूची दे वह उन्हें वापस लेने को तैयार है। जाहिर है कि नागरिकता कानून और बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की बात करके भारत ने बांग्लादेश को आहत और नाराज किया है।