यह भारत सरकार का कमाल है कि वह किसी भी समस्या को स्वीकार नहीं करती है लेकिन उससे पूरी ताकत से लड़ने का दावा करती है। जैसे सरकार ने स्वीकार नहीं किया कि चीन भारत की सीमा में घुसा है पर वहां उसे वहां से निकालने के लिए प्रतिबद्ध भी है। सरकार स्वीकार नहीं करती है कि महंगाई बढ़ रही है लेकिन महंगाई रोकने के सारे उपाय करने का दावा भी करती है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी को भी सरकार ने स्वीकार नहीं किया पर ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए संकल्प भी जाहिर किया। उसी तरह सरकार कोयले की कमी और बिजली के संकट को नहीं स्वीकार कर रही है लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि सरकार कोयला की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत से काम कर रही है। coal crisis in india
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कोयले की कमी और बिजली का संकट असली है। महाराष्ट्र में कोयले की कमी से थर्मल पावर की 13 यूनिट्स बंद हो गई हैं। पंजाब सरकार ने सोमवार से तीन दिन के लिए हर दिन तीन-तीन घंटे का पावर कट शुरू कर दिया है। भारत सरकार के उपक्रम गैस ऑथोरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड ने बवाना पावर प्लांट को दो दिन में आपूर्ति ठप्प होने की चेतावनी दी। टाटा पावर लिमिटेड ने दिल्ली में ग्राहकों को चिट्ठी लिख कर संकट के बारे में आगाह किया। भाजपा की उत्तर प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कोयला और बिजली संकट की बात सार्वजनिक रूप से स्वीकार की। फिर भी केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने प्रेस कांफ्रेंस करके कहा कि कोई संकट नहीं है। उन्होंने गेल और टाटा पावर पर कार्रवाई की भी चेतावनी दी। लेकिन साथ ही ऊर्जा और कोयला मंत्रियों ने यह भी कहा कि सरकार इस संकट से निपटने के लिए पूरी ताकत लगाएगी। सोचें, समस्या नहीं है पर उससे पूरी ताकत से निपटा जाएगा।