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गोवा में दलबदल से कंफ्यूजन

ByNI Political,
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गोवा में दलबदल से कंफ्यूजन
गोवा बहुत छोटा राज्य है और नेता, मतदाता के बीच आपसी जान-पहचान का संबंध है। वहां हर नेता के पास अपना एक कैप्टिव वोट बैंक है, जिसकी वह पांच साल सेवा करता है। वहां हर चुनाव में नेता दलबदल करते हैं और नेता के साथ साथ उसका वोट बैंक या वोट बैंक का बड़ा हिस्सा भी नई पार्टी में चला जाता है। लेकिन आमतौर पर यह दलबदल दो राष्ट्रीय और दो क्षेत्रीय पार्टियों के बीच होती है। कांग्रेस-भाजपा और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी-गोवा फॉरवर्ड पार्टी के बीच ही नेता घूमते रहते हैं। शरद पवार की एनसीपी ने इसमें एक कोण बनाया और इस बार तृणमूल कांग्रेस व आम आदमी पार्टी भी शामिल हो गई है। इससे मतदाताओं के बीच कंफ्यूजन बन रहा है। Confusion over defection in Goa Read also परमाणु हथियारों का खात्मा तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए पांच नेता पिछले दिनों पार्टी छोड़ कर अलग हो गए। पूर्व विधायक लवू मामलतदार के साथ चार और नेताओं- राम मांडरेकर, किशोर परवार, कोमल परवार और सुजय मलिक ने तृणमूल छोड़ दी। भाजपा के विधायक कार्लोस अल्मिडा ने पार्टी और विधानसभा से इस्तीफा दे दिया है वे कांग्रेस में जाएंगे। इससे पहले कांग्रेस विधायक लुइजिन्हो फ्लेरियो पार्टी छोड़ कर तृणमूल में गए और उसने उनको राज्यसभा में भेज दिया। एनसीपी के विधायक रहे चर्चिल अलेमाओ भी तृणमूल में चले गए। इस तरह भाजपा के नेता कांग्रेस में जा रहे हैं, कांग्रेस के नेता भाजपा और तृणमूल में जा रहे हैं, एनसीपी के नेता तृणमूल और कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं, फिर तृणमूल में गए नेता कांग्रेस या दूसरी पार्टियों में वापसी कर रहे हैं। इससे मतदाताओं में बड़ा कंफ्यूजन बना है।
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