कांग्रेस पार्टी ने असम में पांच पार्टियों को साथ लेकर गठबंधन बनाया है। लेकिन चुनाव के लिहाज से यह कोई बहुत कारगर गठबंधन नहीं दिख रहा है क्योंकि इसमें शामिल छह पार्टियों में से सिर्फ कांग्रेस और एआईयूडीएफ का आधार है। बाकी चार पार्टियां, जिसमें तीन कम्युनिस्ट पार्टियां हैं, वे बिना आधार के हैं। इसलिए कहने को भले छह पार्टियों का गठबंधन हुआ है पर यह भाजपा और अगप की दो पार्टियों के गठबंधन को टक्कर देता नहीं दिख रहा है। इसका कारण यह है कि प्रदेश की जो क्षेत्रीय पार्टियां आधार वाली हैं वे अलग लड़ रही हैं।
असम में सबसे ज्यादा मजबूत क्षेत्रीय पार्टी बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट है वह भाजपा से अलग होकर लड़ रही है। इसी तरह ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन की बनाई पार्टी भी अलग लड़ रही है और अखिल गोगोई की पार्टी भी अलग लड़ रही है। नागरिकता कानून और नागरिक रजिस्टर को लेकर इन तीनों ने बड़ा आंदोलन चलाया है। इसलिए यह तय माना जा रहा है कि इन कानूनों की वजह से सरकार से नाराज हुए मतदाता इनकी ओर जाएंगे। अगर यह वोट कांग्रेस गठबंधन को मिलता तभी भाजपा को नुकसान होता। लेकिन अगर यह वोट अन्य पार्टियों का जाता है तो भाजपा का वोट शेयर जरूर कुछ घट सकता है पर सीटों की संख्या में उसे फायदा हो सकता है। दूसरे बदरूद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ के साथ लड़ने से भी कांग्रेस को नुकसान होगा क्योंकि भाजपा आसानी से चुनाव का ध्रुवीकरण करा देगी।
असम में कांग्रेस गठबंधन कारगर नहीं!
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