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केजरीवाल और केसीआर कांग्रेस को पसंद नहीं

कांग्रेस पार्टी ने कमाल किया है। भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह में शामिल होने के लिए उसने देश की 21 पार्टियों को न्योता दिया है लेकिन आम आदमी पार्टी और भारत राष्ट्र संघ को नहीं बुलाया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभी 21 पार्टियों के अध्यक्षों को चिट्ठी लिखी है। सोचें, खड़गे को संसदीय कामकाज के दौरान आम आदमी पार्टी और भारत राष्ट्र समिति के साथ राजनीकि करने में कोई दिक्कत नहीं होती है। उन्होंने पिछले शीतकालीन सत्र में दो बार विपक्षी पार्टियों की बैठक बुलाई, जिसमें इन दोनों पार्टियों के नेता शामिल हुए। संसद में सरकार को घेरने में इन दोनों पार्टियों ने कांग्रेस के साथ सहयोग किया। लेकिन कश्मीर के श्रीनगर में 30 जनवरी को यात्रा के समापन कार्यक्रम का न्योता इनको नहीं दिया गया है।

इससे पहले भी राहुल गांधी के नेतृत्व में हो रही यात्रा जब दिल्ली पहुंचने वाली थी तब सभी विपक्षी पार्टियों को चिट्ठी लिख कर बुलाया गया था उसमें भी आप नेता अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी नहीं लिखी गई थी। यह अलग बात है कि कोई भी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के बुलावे पर उसकी यात्रा मे शामिल नहीं हुई। इसके बाद उत्तर प्रदेश में जब यात्रा पहुंची तो वहां की विपक्षी पार्टियों को न्योता दिया गया लेकिन उनमें से भी कोई नेता यात्रा में शामिल नहीं हुआ। अब तीसरी बार विपक्षी पार्टियों को न्योता दिया गया है।

कांग्रेस ने कहा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे ने समान विचारधारा वाली पार्टियों को न्योता दिया है। तो सवाल है कि क्या अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और के चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति को कांग्रेस समान विचारधारा की पार्टी नहीं मानती है? अगर ये समान विचार वाली पार्टियां नहीं हैं तो संसद में इनके साथ कैसे समन्वय और सहयोग बनता है? एक सवाल यह भी है कि किस आधार पर कांग्रेस इन दोनों को समान विचार वाली पार्टी नहीं मान रही है? केजरीवाल की तरह राहुल गांधी भी मंदिर मंदिर जाते हैं और उनकी तरह मुफ्त में बिजली, पानी की घोषणा कांग्रेस भी करती है। केजरीवाल और केसीआर दोनों की पार्टी भी भाजपा के खिलाफ बोलते और उससे लड़ते हैं। सो, यह विचारधारा का मामला है।

असलियत यह है कि जहां भी कांग्रेस का अपना हित सीधे किसी पार्टी से टकरा रहा है वह पार्टी कांग्रेस को पसंद नहीं है। जहां पार्टी पहले ही अपने हितों का सरेंडर कर चुकी है वहां की पार्टियों के साथ काम करने में कांग्रेस को दिक्कत नहीं है। आम आदमी पार्टी सीधे कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रही है। उसने दिल्ली कांग्रेस के हाथ से छीन ली, गोवा और गुजरात में कांग्रेस को नुकसान किया और इस साल होने वाले चुनाव में राजस्थान सहित कुछ और राज्यों में कांग्रेस को नुकसान कर सकती है। इसलिए वह कांग्रेस को पसंद नहीं है। तेलंगाना का निर्माण कांग्रेस ने कराया था और वह वहां वापसी की उम्मीद कर रही है, जिसके लिए उसको सीधे केसीआर की पार्टी से टकराना है। ऊपर से केसीआर कांग्रेस को छोड़ कर मोर्चा बनाने का प्रयास कर रहे हैं। सोचें, अगर भाजपा विरोधी गठबंधन बनाने का कांग्रेस का यह पैमाना होगा तो कैसे गठबंधन बनेगा और काम करेगा?

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