देश की सबसे पुरानी पार्टी अपने वर्तमान और भविष्य पर विचार करने के लिए चिंतन कर रही है और दुर्भाग्य से उसके पास विचार के लिए कुछ भी नया नहीं है। देश की दूसरी पार्टियों में जो कुछ अच्छी या बुरी परंपराएं हैं उन्हीं को अपनाने के लिए विचार-विमर्श हो रहा है और उसी को पार्टी नव संकल्प का नाम दे रही है। उदयपुर संकल्प तो रविवार को सामने आएगा लेकिन उससे पहले जो चर्चा हो रही है उसमें मुख्य रूप से चार-पांच नियमों पर विचार किया जा रहा है। ये नियम पहले से दूसरी पार्टियों में लागू हैं इनमें कुछ भी नया या मौलिक नहीं है।
कांग्रेस के नेता इस बात पर विचार कर रहे हैं कि एक परिवार से एक ही व्यक्ति को टिकट दी जाए। इसके कुछ अपवाद रखे जाएंगे। कहा जा रहा है कि अगर किसी नेता के बेटे या बेटी ने पांच साल तक पार्टी संगठन में काम किया है तो उसे टिकट मिल सकती है। सोचें, इसका क्या मतलब है? भाजपा में पहले से यह नियम लागू है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी वजह से भाजपा नेताओं के बेटों को टिकट नहीं मिली या वे जीतने के बाद मंत्री नहीं बन पाए। भाजपा में अपवाद है लेकिन यह नियम पहले से लागू है कि एक परिवार से एक व्यक्ति को टिकट मिलेगी।
इसी तरह कांग्रेस पार्टी राज्यसभा का कार्यकाल तय करने पर विचार कर रही है। यह नियम भी पहले से कम्युनिस्ट पार्टियों में लागू है। वहां दो बार से ज्यादा कोई राज्यसभा नहीं जा सकता है। सीताराम येचुरी महासचिव होते हुए भी तीसरी बार राज्यसभा नहीं जा सके। कांग्रेस में लोग पांच-पांच बार लगातार राज्यसभा जाते रहे हैं। अगर कांग्रेस टर्म लिमिट करती है तो यह अच्छी बात होगी लेकिन नई बात नहीं होगी। ऐसे ही एक व्यक्ति, एक पद के सिद्धांत पर भी पार्टी विचार कर रही है। यह नियम पहले से खुद कांग्रेस अपनाती रही है। भाजपा और दूसरी पार्टियों में भी यह नियम लागू है।
कांग्रेस पार्टी चुनाव लड़ने या सक्रिय राजनीति के लिए उम्र सीमा निर्धारित करने पर विचार कर रही है। यह भी भाजपा ने अपने यहां लागू किया गया है और कांग्रेस इसका विरोध करती रही है। इसलिए ऐसे नियम पर विचार करना भी ठीक नहीं है। कांग्रेस युवाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने पर भी विचार कर रही है तो यह भी भारत में आजमाया हुआ दांव है। असम गण परिषद का गठन ही कुछ युवाओं ने किया था और सफल होकर सरकार में आए थे। आम आदमी पार्टी भी युवा और सामान्य पृष्ठभूमि वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ा कर राजनीति कर रही है। कांग्रेस गठबंधन पर विचार करेगी, जिसके बारे में पचमढ़ी और शिमला अधिवेशन में भी विचार हुआ था और उसके बाद पार्टी दो बार केंद्र में सफलतापूर्वक गठबंधन की सरकार चला चुकी है। तभी यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस के नव संकल्प शिविर में एक भी संकल्प नया या मौलिक होता या नहीं।
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