कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित पार्टी के कई नेताओं को अपनी भाषा पर काम करने की जरूरत है। अगर इन नेताओं को हिंदी में भाषण देना है तो हिंदी सीखनी पड़ेगी। यह नहीं होगा कि हर बार कुछ अनाप-शनाप बोलें और कह दें कि भाषा कमजोर है या कन्नड़ भाषी हैं, बांग्ला भाषी हैं इसलिए समस्या हुई। एकाध बार तो ठीक है लेकिन बार बार अगर ऐसा हो रहा है तो यह मैसेज जाएगा कि कांग्रेस के नेता भाषा की वजह से नहीं, बल्कि जान बूझकर उलटी सीधी बातें करते हैं।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुजरात में चुनाव रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना रावण से कर दी। उस बयान से कांग्रेस को जो नुकसान होना था वह हुआ और अब कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान अलवर में उन्होंने कह दिया कि कांग्रेस के नेताओं ने देश के लिए जान दी है, लेकिन भाजपा नेताओं के घर से एक कुत्ता भी नहीं मरा है। वे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं इसलिए उनको अपनी बातों का ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है। वे हिंदी बोलना चाहते हैं तो अच्छे से सीख लें या फिर उसके मुहावरों, कहावतों आदि से बचें क्योंकि उससे अर्थ का अनर्थ होने का खतरा होता है।
इसी तरह राहुल गांधी ने जयपुर में प्रेस कांफ्रेंस की तो कह दिया कि चीन के सैनिक भारतीय सैनिकों की पिटाई कर रहे हैं। अगर वे कुछ और कहना चाह रहे थे लेकिन शब्दों की कमी के कारण पिटाई कह गए तब तो अलग बात है। लेकिन अगर वे सचमुच यही कहना चाह रहे थे तब तो यह बहुत खराब बात है। यह तथ्यात्मक रूप से भी गलत है क्योंकि कहीं भी चीन के सैनिक भारतीय सैनिकों को नहीं पीट रहे हैं। अगर दोनों के बीच झड़प हुई है तब भी भारतीय सैनिकों ने भी चीन के सैनिकों की पिटाई की है। इसके वीडियो भी हैं और सेना के अधिकारी इसकी पुष्टि भी करते हैं। अगर यह सही भी हो तब भी किसी नेता को सेना के शौर्य और सैनिकों की बहादुरी पर सार्वजनिक रूप से सवाल नहीं उठाना चाहिए। सो, यहां भाषा और समझदारी दोनों की बात आती है।
कुछ दिन पहले एक बड़ी गलती लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने की थी। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए ‘राष्ट्रपत्नी’ शब्द का इस्तेमाल कर दिया था। यह बहुत अशोभनीय बात थी। उन्होंने बाद में इसके लिए माफी मांगी और कहा कि उनकी हिंदी अच्छी नहीं है। लेकिन हिंदी खराब होने के नाम पर वे पहले भी इस किस्म की गलतियां कर चुके हैं। वे लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता हैं। इसलिए उनकी बड़ी जिम्मेदारी है। वे बार बार इस तरह की गलतियां नहीं कर सकते हैं। उधर मध्य प्रदेश में कांग्रेस के पूर्व मंत्री राजा पटेरिया ने मोदी की हत्या की बात कह दी। उनको हराने और हत्या करने में फर्क ही समझ में नहीं आया! उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के एक कार्यकारी अध्यक्ष अजय राय ने स्मृति ईरानी के लिए ‘लटके-झटके’ जैसे शब्द का इस्तेमाल किया। तभी जरूरी लग रहा है कि कांग्रेस नेताओं के लिए भाषा की क्लास लगनी चाहिए।