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कांग्रेस के लिए ममता की मजबूरी

ByNI Political,
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कांग्रेस के लिए ममता की मजबूरी
congress party mamata banerjee कांग्रेस पार्टी की मजबूरी है कि वह ममता बनर्जी को विपक्षी गठबंधन में शामिल रखे। कांग्रेस के नेता खून का घूंट पीकर उनको साथ रखे हुए हैं। वे एक तरफ कांग्रेस पार्टी तोड़ रही हैं और दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी की बैठकों में भी शामिल हो रहे हैं। संसद के पिछले सत्र में कांग्रेस के साथ उनके नेताओं ने जबरदस्त सद्भाव दिखाया था। वे खुद दिल्ली में सोनिया व राहुल गांधी सहित कांग्रेस के कई नेताओं से मिली थीं। अभी 20 अगस्त को स्वर्गीय राजीव गांधी की जयंती के दिन सोनिया गांधी ने विपक्षी पार्टियों की वर्चुअल बैठक की तो उसमें भी ममता बनर्जी शामिल हुईं। लेकिन दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी के नेताओं को तोड़ने का सिलसिला भी जारी है। Read also सिर्फ मजबूत विपक्ष से क्या होगा? अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देब कांग्रेस छोड़ कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गई हैं। त्रिपुरा कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष पीयूष बिस्वास का तृणमूल में शामिल होना महज वक्त की बात है। भाजपा छोड़ कर तृणमूल में लौटे मुकुल रॉय त्रिपुरा में कांग्रेस के बचे खुचे नेताओं को तृणमूल में लाने का प्रयास कर रहे हैं। सुष्मिता देब के उधर जाने से यह काम आसान हो जाएगा। ममता ने पूर्वोत्तर में भाजपा से नाराज नेताओं के लिए एक गैर कांग्रेस विकल्प उपलब्ध करा दिया है। इसके बावजूद कांग्रेस की मजबूरी है कि वह ममता के साथ तालमेल बनाए रखे क्योंकि कांग्रेस को चिंता है कि अगर ममता ने अलग मोर्चा बनाया तो उसका सीधा नुकसान कांग्रेस को होगा और फायदा भाजपा को। इसलिए ममता कोई तीसरा या संघीय मोर्चा न बनाएं इस चिंता में कांग्रेस उनको साथ जोड़े रखने की कोशिश कर रही है।
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