congress party political crisis सिर्फ गिनती करनी है कि राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष और फिर अध्यक्ष और अब पूर्व अध्यक्ष के रूप में कितने नेताओं को आगे बढ़ाया और उनमें से कितने आज उनके साथ हैं। राहुल ने दर्जनों नए नेताओं को मौका दिया। टीम राहुल बनाई, जिसकी खूब चर्चा हुई। कई पुराने और सक्षम नेताओं की अनदेखी करके उन्होंने कांग्रेस के पुराने नेताओं के बेटे-बेटियों को आगे बढ़ाया। योग्य नहीं होने के बावजूद सिर्फ इस वजह से केंद्र में मंत्री बनाया कि वे बड़े नेताओं के बच्चे हैं, विदेश से पढ़े हैं और टीम राहुल के सदस्य हैं। लेकिन उनमें से ज्यादातर नेता पार्टी छोड़ कर चले गए और जो बचे हैं वे इस वजह से बचे हैं कि उनको अब भी कुछ न कुछ मिला हुआ है या आगे कुछ मिल जाने की उम्मीद है। दर्जनों की संख्या में जो पुराने नेता पार्टी छोड़ कर गए उनकी बात अलग है।
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कांग्रेस ने जिन युवा नेताओं को यूपीए सरकार में मंत्री बनवाया था उनमें से ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद भाजपा में चले गए हैं। सचिन पायलट ने जो किया था वह सबके सामने है। दीपेंद्र हुड्डा और मिलिंद देवड़ा भी मौके के इंतजार में हैं। ये सब पुराने और बड़े कांग्रेस नेताओं के बेटे हैं। इसी तरह राहुल ने प्रदेश अध्यक्ष बना कर जिन नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी उनमें से अशोक चौधरी जदयू में चले गए हैं, अशोक तंवर ने अलग पार्टी बना ली है और डॉक्टर अजय कुमार ने भी पार्टी छोड़ दी थी पर अब वे फिर कांग्रेस में लौट आए हैं। राहुल ने सुष्मिता देब को महिला कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनवाया था वे अब तृणमूल कांग्रेस में चली गई हैं। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता रहीं प्रियंका चतुर्वेदी शिव सेना में चली गई हैं। इतने नेताओं के पार्टी छोड़ने में राहुल गांधी के लिए यह सबक है कि वे सोच समझ कर नेताओं को प्रमोट करें।