कांग्रेस पार्टी का हाईकमान इस बात की बहुत कोशिश कर रहा है कि किसी तरह से अध्यक्ष पद का चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष दिखे। हालांकि सबको पता है कि मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार हैं और उनके पीछे सोनिया व राहुल गांधी की ताकत है। इसके बावजूद पार्टी दिखावे के लिए ऐसे ऐसे काम कर रही है, जिसकी कोई जरूरत नहीं थी। जैसे खड़गे से राज्यसभा में नेता पद से इस्तीफा कराने की कोई जरूरत नहीं थी। चुनाव लड़ने के लिए किसी राजनीतिक पद से इस्तीफा देने की जरूरत नहीं होती है। राज्यसभा में नेता विपक्ष के पद पर रहते हुए चुनाव लड़ने से उनको कोई अतिरिक्त लाभ नहीं होना था। चुनाव जीतने के बाद भी वे पद छोड़ते तो कोई फर्क नहीं पड़ता।
इसी तरह कांग्रेस के तीन नेताओं- दीपेंदर हुड्डा, गौरव वल्लभ और सैयद नासिर हुसैन ने खड़गे के लिए चुनाव प्रचार का काम करने की बात कही तो पार्टी की ओर से कहा गया कि वे अपने आधिकारिक पद से इस्तीफा देकर खड़गे के लिए प्रचार करेंगे। सोचें, इसका क्या मतलब है? ये पार्टी अध्यक्ष का चुनाव हो रहा है और पार्टी का कोई नेता इस चुनाव में किसी के भी पक्ष में हो सकता है। इसके लिए उसे आधिकारिक पद से इस्तीफा देने की क्या जरूरत है? लेकिन चुनाव को स्वतंत्र व निष्पक्ष दिखाना है इसलिए तीनों नेताओं ने प्रवक्ता पद से इस्तीफा दिया। कांग्रेस के कई नेता मजाक कर रहे हैं कि कहीं ऐसा न हो कि अध्यक्ष के चुनाव में वोट देने के लिए भी आधिकारिक पद छोड़ने को कह दिया जाए!
चुनाव को स्वतंत्र दिखाने की कांग्रेस की कोशिश
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