कांग्रेस पार्टी के नेताओं की नींद क्या अब खुलेगी और वे क्या अब फैसला करेंगे? हालांकि ऐसा लग नहीं रहा है कि पार्टी कोई सबक ले रही है। कांग्रेस में कई फैसले महीनों नहीं बरसों से अटके हैं पर कोई फैसला नहीं हो रहा है। कमलनाथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी हैं और प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। यह स्थिति 16 महीने से है। इसी तरह सचिन पायलट राजस्थान के उप मुख्यमंत्री हैं और प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। यह स्थिति भी 16 महीने से है। राहुल गांधी ने मई में कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और तभी से कांग्रेस तदर्थ या अंतरिम व्यवस्था के तहत चल रही है।
कांग्रेस को अपना राष्ट्रीय संगठन ठीक करना है, अध्यक्ष चुनना है, कार्य समिति बनानी है पर किसी को इसकी जल्दी नहीं दिख रही है। दिल्ली में पिछले साल मई में लोकसभा चुनाव की हार के बाद से ही बदलाव की चर्चा है। पर कोई जल्दी में नहीं है। शीला दीक्षित के निधन के बाद तदर्थ व्यवस्था चलती रही, फिर चुनाव से ऐन पहले सुभाष चोपड़ा को अध्यक्ष बना दिया गया। पिछले महीने विधानसभा चुनाव हारने के बाद उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया। अब प्रदेश में कोई अध्यक्ष नहीं है और कार्यकारी प्रभारी के सहारे काम चल रहा है।
अब तो फैसला करे कांग्रेस पार्टी?
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