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कांग्रेस ने आखिर चुनाव नहीं कराया

अध्यक्ष का चुनाव कराने के बाद अब कांग्रेस ने मान लिया है कि आंतरिक लोकतंत्र बहाल हो गया और अब किसी और तरह का चुनाव कराने की जरूरत नहीं है। तभी रायपुर में कांग्रेस के 85वें अधिवेशन में एक राय से यह प्रस्ताव मंजूर किया गया कि किसी तरह का आंतरिक चुनाव नहीं होगा। इतना ही नहीं पार्टी ने यह भी तय कर दिया है कि आगे अध्यक्ष का चुनाव भी नहीं हो पाए। कांग्रेस संविधान में किए गए संशोधन के मुताबिक अब अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए प्रदेशों से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के कम से कम एक सौ सदस्यों को प्रस्तावक बनाना होगा। अभी तक सिर्फ 10 प्रस्तावकों से नामांकन हो जाता था।

इस बार शशि थरूर चुनाव लड़े थे तो 60 प्रस्तावकों ने उनके नामांकन पत्र पर दस्तखत किए थे। नामांकन के लिए एआईसीसी के एक सौ सदस्य जुटाना किसी स्वतंत्र उम्मीदवार के लिए मुश्किल होगा। सो, आलाकमान के उम्मीदवार को चुनौती मिलने की संभावना इससे समाप्त होती है। इसी तरह कांग्रेस कार्य समिति के सदस्यों का चुनाव कराए जाने की बड़ी चर्चा थी। कहा जा रहा था कि राहुल गांधी चाहते हैं कि कार्य समिति के सदस्यों का चुनाव कराया जाए। सोचें, अगर राहुल गांधी कांग्रेस में कोई काम कराना चाहें और वह नहीं हो तो इसका क्या मतलब है? इसके दो ही मतलब हैं या तो पार्टी को उनके चाहने की परवाह नहीं है या वे सचमुच चाहते नहीं थे, सिर्फ जनता के बीच पोजिशनिंग हो रही थी।

बहरहाल, अधिवेशन के पहले दिन कांग्रेस की स्टीयरिंग कमेटी की बैठक, जिसमें सोनिया व राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल नहीं हुए। उनकी गैरहाजिरी में हुई बैठक में तय कि गया कि कार्य समिति का चुनाव नहीं होगा और पार्टी अध्यक्ष सभी 23 सदस्यों को मनोनीत करेंगे। संविधान में 12 सदस्यों के चुनाव का प्रावधान है और 11 सदस्य मनोनीत होते हैं। लेकिन अब सभी 23 सदस्य मनोनीत होंगे। इनके अलावा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व संसद के दोनों सदनों के नेता पदेन सदस्य होते हैं। अब संविधान में संशोधन करके प्रावधान कर दिया गया है कि पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष भी स्थायी सदस्य होंगे।

कांग्रेस में हर स्तर पर संगठन के चुनाव की मांग करने वाले जी-23 के नेताओं ने चुने हुए सदस्यों की केंद्रीय चुनाव समिति यानी सीईसी बनाने की मांग की थी। इसके साथ ही संसदीय बोर्ड को पुनर्जीवित करने की भी बात हुई थी। वैसे भी अगर सीईसी का चुनाव होता तो अपने आप संसदीय बोर्ड बनाने की जरूरत होती क्योंकि पार्टी संविधान के मुताबिक संसदीय बोर्ड के सदस्य सीईसी के पदेन सदस्य होते हैं और उनके अलावा नौ सदस्यों का चुनाव होता है। यह चुनाव भी नहीं हुआ है। इसकी बजाय संविधान में संशोधन करके यह प्रावधान किया गया है कि 12 सदस्यों की केंद्रीय चुनाव समिति होगी, जिसके प्रमुख राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे और इसका गठन कार्य समिति द्वारा किया जाएगा।

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