रियल पालिटिक्स

झारखंड में कांग्रेस की कलह चलती रहेगी

ByNI Political,
Share
झारखंड में कांग्रेस की कलह चलती रहेगी
political crisis Jharkhand congress : झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन की पार्टियों का आपस में सद्भाव है लेकिन कांग्रेस पार्टी के अंदर की कलह खत्म नहीं हो रही है। जिस दिन से सरकार बनी है उस दिन से ही कांग्रेस के विधायकों की बगावत की चर्चाएं चल रही हैं और पार्टी टूटने का हल्ला मचता रहता है। अभी पिछले हफ्ते कांग्रेस के छह विधायक दिल्ली गए तो राजधानी रांची में ऐसा पैनिक हुआ था कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उनका पूरा प्रशासन परेशान था। हवाईअड्डे पर लगाई गई व्यवस्था से विधायकों के जाने का पता चला। विधायकों की दिल्ली यात्रा पूरी तरह से सुनियोजित थी, इसका पता तब चला, जब एक विधायक की यात्रा की टिकट और पीएनआर चेक किया गया। पता चला कि एक पीएनआर पर तीन या चार विधायकों की टिकट हुई थी। इसके बाद प्रशासन की ओर से सरकार को अलर्ट किया गया और सरकार ने कांग्रेस नेतृत्व को बताया। Read also:  Navjot Singh Sidhu बने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय ने दिल्ली में विधायकों से एक-एक करके बात की थी। लेकिन बताया जा रहा है कि कांग्रेस के विधायकों में मंत्री बनने की होड़ मची है। ध्यान रहे झारखंड में कांग्रेस के 18 विधायक हैं, जिनमें से चार मंत्री हैं। पार्टी की चार महिला विधायकों में से किसी को मंत्री नहीं बनाया गया है। सो, महिला विधायकों का अलग दबाव है। हालांकि इसके बावजूद पार्टी में टूट की संभावना फिलहाल नहीं दिख रही है। इसका कारण यह है कि कांग्रेस के कम से कम छह विधायक ऐसे हैं, जो आदिवासी और ईसाई बहुल सीटों से जीते हैं और उनको पता है कि अगर उपचुनाव होता है या आगे फिर चुनाव में जाते हैं तो भाजपा की टिकट से जीतना मुश्किल होगा। इस वजह से अभी कुल मिला कर पांच-छह विधायक ही दिल्ली भागदौड़ कर रहे हैं। यह उनका निजी उद्यम है। Read also: मोदी-योगी के काम का प्रचार political crisis Jharkhand congress : कांग्रेस और सरकार के पक्ष में दूसरी बात यह है कि प्रदेश भाजपा में कोई नेता ऐसा नहीं है, जो पहल करके सरकार को अस्थिर कर सके। बाबूलाल मरांडी को भाजपा ने बड़ी उम्मीद से पार्टी में शामिल कराया था पर 26 विधायकों का नेता चुन लिए जाने के बाद अभी तक उनको नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं मिल पाया है। सोचें, जब उनको नेता विपक्ष बनाने के लिए भाजपा की ओर से दबाव की राजनीति नहीं हो रही है तो उनको मुख्यमंत्री बनाने के लिए कौन प्रयास करेगा! उनके अलावा जो बाकी तीन नेता हैं वे विधायक नहीं है। अर्जुन मुंडा और अन्नपूर्णा देवी केंद्र सरकार में मंत्री हैं तो रघुवर दास पिछला विधानसभा चुनाव हार गए थे।
Published

और पढ़ें