कांग्रेस पार्टी अपना नया अध्यक्ष चुनेगी या चुनाव एक बार फिर टल जाएगा? यह लाख टके का सवाल है क्योंकि कांग्रेस पार्टी के ज्यादातर नेताओं को लग रहा है कि अभी चुनाव शाय़द नहीं होंगे। इसका कारण यह है कि अहमद पटेल की तबियत बहुत खराब है। वे गुरुग्राम के मेदांता मेडिसिटी में हैं। उनका इलाज कई महीनों से चल रहा है और अब गंभीर हालत में उनको आईसीयू में भरती कराया गया है। सो, उनकी बीमारी के हवाले चुनाव टाला जा सकता है।
ध्यान रहे कांग्रेस कार्यसमिति की पिछली बैठक में सोनिया गांधी ने छह लोगों की एक कमेटी बनाई थी, जिसे छह महीने में अध्यक्ष का चुनाव कराना था। अहमद पटेल भी उस कमेटी का हिस्सा हैं। सबको पता है कि अगर किसी कमेटी में अहमद पटेल हैं तो इसका मतलब है कि फैसला उन्हीं का होगा। लेकिन वे बीमार हैं। तभी कांग्रेस के कई जानकार नेता यह आइडिया दे रहे हैं कि चुनाव टाल दिया जाए और सोनिया गांधी ही थोड़े समय तक और अंतरिम अध्यक्ष बनी रहें।
बहरहाल, हो सकता है कि सोनिया और राहुल गांधी इसके लिए तैयार नहीं हों। यानी वे इस बात पर जोर दे सकते हैं कि समय से ही चुनाव कराया जाए। अगर ऐसा होता है तो दो स्थितियां बनेंगी। पहली स्थिति तो यह है कि पार्टी का एक बड़ा खेमा जो चाहता है कि राहुल गांधी पार्टी की कमान संभालें वह दबाव बनाने में कामयाब हो जाए और राहुल गांधी एक बार फिर अध्यक्ष का चुनाव लड़ें, जैसे पिछली बार लड़े थे। कांग्रेस अध्यक्ष का पिछले चुनाव 2017 में हुआ था, जब राहुल निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए थे। इस बार भी अगर वे चुनाव लड़ते हैं तो कोई उनको चुनौती नहीं देगा और वे निर्विरोध अध्यक्ष बनेंगे।
दूसरी स्थिति यह है कि अगर राहुल गांधी चुनाव नहीं लड़े फिर क्या होगा? तब सबके लिए मैदान खुल जाएगा। हालांकि सोनिया, राहुल की ओर से उम्मीदवार दिया जाएगा फिर भी एक से ज्यादा लोग नामांकन कर सकते हैं और तब चुनाव की नौबत आएगी। इस बीच कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण ने हर प्रदेश कमेटी को चिट्ठी भेजा है और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधियों के लिए नाम मांगा है।
ध्यान रहे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधि ही अध्यक्ष पद के लिए मतदान में हिस्सा लेते हैं। हर राज्य में ऐसे नेता, जो अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं वे ज्यादा से ज्यादा प्रतिनिधि बनाने का प्रयास करते हैं। कांग्रेस के चुनाव प्राधिकरण ने करीब एक महीने पहले राज्यों को चिट्ठी भेजी है। लेकिन त्योहारों की वजह से सब कुछ रूका हुआ है। ऊपर से कोरोना का संकट भी है। इस वजह से भी सब कुछ धीमे रफ्तार से हो रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि कोरोना के कारण भी चुनाव टाला जा सकता है।