
वैसे भी प्रियंका इस मसले पर काफी विरोध प्रदर्शन और नाटकीय घटनाक्रमों को अंजाम दे चुकी हैं। हालांकि दूसरी ओर पार्टी नेताओं का एक खेमा ऐसा है, जिसका मानना है कि यह ऐसा मुद्दा है, जिस पर कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर स्थापित हो सकती है और साथ ही समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के अल्पसंख्यक वोट आधार को तोड़ सकती है। ध्यान रहे नागरिकता कानून पर विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस कार्रवाई में घायल हुए, जिन लोगों से प्रियंका मिलने जा रहे हैं उनमें से 99 फीसदी मुस्लिम हैं।
इसमें कांग्रेस फायदा भी देख रही है और नुकसान भी। फायदा इस वजह से है कि सपा और बसपा इस मुद्दे पर कांग्रेस जैसे मुखर नहीं हैं। सो, कांग्रेस को लग रहा है कि वह अपने आप भाजपा का विकल्प बन रही है। नुकसान यह है कि भाजपा के पक्ष में ध्रुवीकरण की संभावना बन रही है। पुलिस कार्रवाई से पीड़ित हर व्यक्ति से प्रियंका को मिलाने की रणनीति बनाने वाले नेताओं को लग रहा है कि नागरिकता मसले पर अल्पसंख्यक के साथ साथ दलित भी जुड़ा है और यह दोनों कांग्रेस का पुराना वोट आधार रहे हैं। अगर कांग्रेस इसी मुद्दे पर राजनीति करके अपने पुराने वोट को हासिल करती है तो उसे भरोसे है कि भाजपा की और खास कर योगी आदित्यनाथ की राजनीति से नाराज ब्राह्मण भी उसके साथ जुड़ेगा। फिर अपने आप कांग्रेस उत्तर प्रदेश में भाजपा का विकल्प बनेगी।