कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी विदेश गए तो उनकी बहन और पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को मौका मिल गया। कांग्रेस की कोर कमेटी की बैठकों में या पार्टी का दूसरी बैठकों और सार्वजनिक कार्यक्रमों में वे शामिल हुईं और अनौपचारिक रूप से बैठकों का संचालन किया। हालांकि उनका प्रोटोकॉल आधिकारिक रूप से राहुल गांधी का नहीं है क्योंकि राहुल पूर्व अध्यक्ष हैं। फिर भी पार्टी के तमाम बड़े नेता उनके साथ वहीं बरताव कर रहे हैं, जो सोनिया और राहुल के साथ होता है।
जैसे जामिया के छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई के विरोध में प्रियंका गांधी ने इंडिया गेट पर धरना देने का फैसला किया तो कांग्रेस को तमाम बड़े नेता वहां पहुंचे। महिला कांग्रेस और यूथ कांग्रेस के नेताओं के साथ साथ एके एंटनी, अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद, केसी वेणुगोपाल जैसे तमाम बड़े नेता वहां धरने पर बैठे। इसके बाद प्रियंका गांधी ने शनिवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की और नागरिकता कानून के खिलाफ महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पर छह घंटे के धरने की योजना बनाई। प्रियंका को इस धरने का नेतृत्व करना था। पर अचानक खबर आई कि राहुल गांधी लौट रहे हैं।
पहले कांग्रेस के किसी नेता को नहीं लग रहा था क्रिसमस और नए साल की छुट्टियां मनाए बगैर राहुल लौटेंगे। पर एक तरफ नागरिकता कानून के विरोध में चल रहे आंदोलन में उनकी गैरहाजिरी मुद्दा बन रही थी और दूसरी ओर उनके करीबी नेताओं को लगता रहा था कि प्रियंका टेकओवर कर रही हैं। तभी कहा जा रहा है कि राहुल की जल्दी वापसी का फैसला हुआ। इस बीच कांग्रेस का धरना भी एक दिन आगे बढ गया। रविवार को रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली की वजह से कांग्रेस का धरना सोमवार के लिए टल गया।
बहरहाल, नागरिकता विरोधी रैलियों और प्रदर्शनों के अलावा झारखंड में आखिरी चरण के मतदान से ठीक पहले पाकुड़ में प्रियंका गांधी ने चुनावी रैली को संबोधित किया। यह रैली राहुल गांधी को करनी थी पर वे विदेश चले गए तो इसे कैंसिल करने की बजाय प्रियंका को भेजा गया। ध्यान रहे इस सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आलमगीर आलम चुनाव लड़ रहे हैं। प्रियंका की यह रैली बेहद सफल रही। यह दिल्ली और उत्तर प्रदेश से बाहर निकल कर देश के दूसरे हिस्सों में प्रियंका की राजनीति की शुरुआत है।