कांग्रेस पार्टी को संसद के दोनों सदनों में नए संसदीय नेता नियुक्त करने हैं। उच्च सदन में कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल अगले महीने खत्म हो रहा है। आजाद 15 फरवरी को रिटायर हो जाएंगे। यह संयोग है कि इस साल संसद के बजट सत्र का पहला हिस्सा 15 फरवरी को ही खत्म हो रहा है। और चूंकि अभी जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग है इसलिए अभी तत्काल चुनाव भी नहीं होना है। सो, जिस दिन सत्र का पहला हिस्सा खत्म होगा उस दिन आजाद रिटायर हो जाएंगे। फिर संसद सत्र का दूसरा हिस्सा आठ मार्च से शुरू होगा। इस अवकाश की अवधि में कांग्रेस को नया नेता तय करना होगा। हालांकि कांग्रेस में जिस तरह से तदर्थ यानी अस्थायी व्यवस्था चलती रहती है उसके हिसाब से यह भी हो सकता है कि उच्च सदन के उप नेता आनंद शर्मा से ही काम चला लिया जाए। पर आनंद शर्मा भी अगले साल रिटायर होने वाले हैं। उनके लिए भी पार्टी पता नहीं कोई सीट खोज पाएगी या नहीं क्योंकि सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने वाले असंतुष्ट नेताओं में शामिल हैं।
अब सवाल है कि कांग्रेस नेतृत्व आनंद शर्मा को एक साल के लिए नेता बनाएगा या नया नेता नियुक्त किया जाएगा? उच्च सदन में कांग्रेस के पास कई बड़े नेता हैं, जो यह जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। पिछले ही साल पार्टी ने मल्लिकार्जुन खड़गे को उच्च सदन का सदस्य बनाया। वे पिछली लोकसभा में कांग्रेस के नेता थे। इस नाते उनकी दावेदारी बनती है। वे वरिष्ठ हैं और उनको बना कर पार्टी दलित समाज को मैसेज दे सकती है। कांग्रेस के एक और बड़े नेता दिग्विजय सिंह भी पिछले साल दोबारा उच्च सदन के सदस्य बने। अगर पार्टी को राज्यसभा में सरकार पर दबाव बनाए रखना है तो दिग्विजय सिंह भी उपयुक्त नेता है। उनका सभी विपक्षी पार्टियों के नेताओं के साथ अच्छा सद्भाव भी है। एके एंटनी भी राज्यसभा में हैं लेकिन वे नेता प्रतिपक्ष पद के दावेदार नहीं हैं।