कांग्रेस पार्टी की कार्य समिति की बैठक मंगलवार को हुई। बैठक लंबी चली, जिसमें कोरोना वायरस से लड़ने की सरकार की रणनीति पर सवाल उठाया गया, चीन के साथ सीमा पर चल रहे तनाव को लेकर सरकार की आलोचना की गई और अर्थव्यवस्था को संभालने में विफलता को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा किया गया। कार्य समिति की बैठक में इन तीन बातों पर विचार हुआ और यहीं बात मीडिया में बताई गई, जिसे किसी अखबार ने न तो प्रमुखता से छापा और न किसी चैनल ने प्रमुखता से दिखाया। इसका कारण यह था कि ये तीन ऐसी बातें हैं, जिन पर सोनिया गांधी कई बार चिट्ठी लिख चुकीं और राहुल गांधी रोज ट्विट करते हैं। इसमें ऐसा नया कुछ नहीं था, जिस पर लोग ध्यान दें।
कांग्रेस के ही कई नेता यह सवाल पूछ रहे हैं कि राजनीतिक मसलों पर या चुनाव से जुड़े मुद्दों पर या संगठन को लेकर कांग्रेस कार्य समिति की बैठक कब होगी? कांग्रेस राजनीतिक मसलों पर विचार विमर्श क्यों नहीं कर रही है? मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता हाथ से निकल गई और मणिपुर में सत्ता हाथ आते आते रह गई। ऐसा सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि पार्टी को जैसी त्वरित प्रतिक्रिया देनी चाहिए थी या आपदा प्रबंधन करना चाहिए था वह नहीं किया। गुजरात में पिछली बार के राज्यसभा चुनाव से सबक लेकर भाजपा ने अपने पुख्ता बंदोबस्त किए थे पर कांग्रेस इसी मुगालते में रही कि वह आखिरी समय में कुछ रास्ता निकाल लेगी। पर भाजपा के बंदोबस्तों के आगे कांग्रेस फेल रही। राजस्थान में जरूर कांग्रेस ने अपना कुनबा बचा लिया पर भी वह इस कारण से कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अलर्ट हैं और दूसरे संख्या का गणित ऐसा है कि भाजपा को आसानी से सफलता नहीं मिलनी है।
भले अभी कोरोना वायरस की वजह से सक्रिय राजनीति का बहुत मौका नहीं है पर जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी राजनीति कर रही है कम से कम वैसे तो कांग्रेस पार्टी भी कर सकती है। देश भर में भाजपा की वर्चुअल रैलियां हो रही हैं। कांग्रेस कम से कम चुनावी राज्यों में तो कर सकती है। पार्टी संगठन से जुड़े मसलों पर विचार विमर्श के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग हो सकती है। पार्टी के महासचिवों या प्रदेश अध्यक्षों के साथ सोनिया, राहुल की डिजिटल मीटिंग हो सकती है। कश्मीर से लेकर महाराष्ट्र और मणिपुर से लेकर बिहार, बंगाल हर जगह राजनीतिक गतिविधियां चल रही हैं पर इनमें कांग्रेस कहीं नहीं दिख रही है।
राजनीति पर कांग्रेस कब विचार करेगी?
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