प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मतदान के दिन चुनावी रैलियां करने का रिकार्ड कायम है। प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही उन्होंने यह शुरू किया था कि कई चरणों में मतदान वाले राज्यों में वे उस दिन जरूर रैली करने जाते हैं, जिस दिन मतदान चल रहा होता है। जिस क्षेत्र में मतदान हो रहा होता है उसके पास उन क्षेत्रों में उनकी रैली होती है, जहां अगले चरण में मतदान होना होता है। पश्चिम बंगाल के मतदान में भी यह रिकार्ड कायम रहा है। शनिवार को जिस समय 44 सीटों पर चौथे चरण का मतदान चल रहा था उसी समय प्रधानमंत्री ने सिलिगुड़ी और कृष्णानगर में चुनावी रैली को संबोधित किया।
बंगाल में यह तीसरा मौका है, जब प्रधानमंत्री ने मतदान के दिन चुनावी रैली को संबोधित किया। जिस एक चरण के मतदान के दिन वे चुनावी रैली नहीं कर पाए थे उस दिन वे बांग्लादेश में थे और वहीं पर उनके ऐसे कार्यक्रम बने थे, जिससे बंगाल के चुनाव पर सीधा असर हुआ। वे मतुआ समुदाय के एक मंदिर में गए थे। ध्यान रहे बंगाल में भाजपा पिछले काफी समय से मतुआ समुदाय का वोट लुभाने का प्रयास कर रही है। बहरहाल, एक अप्रैल को जिस दिन ममता बनर्जी की नंदीग्राम सीट पर मतदान था उस दिन भी प्रधानमंत्री ने दो चुनावी रैलियों में कहा कि उन्होंने सुना है कि ममता बनर्जी दूसरी सीट से चुनाव लड़ने जा रही हैं क्योंकि वे नंदीग्राम में हार रही हैं।
नंदीग्राम में चल रहे मतदान के बीच प्रधानमंत्री का यह कहना कि उन्होंने सुना है कि ममता बनर्जी दूसरी जगह से लड़ने जा रही हैं, बड़ी बात थी। आखिर प्रधानमंत्री कोई राह चलते व्यक्ति तो हैं नहीं कि उन्होंने चाय-पान की दुकान पर यह बात सुनी हो! उनको किसी विश्वस्त स्रोत से खबर मिली होगी, तभी उन्होंने मंच से यह बात कही। सो, अब जबकि आखिरी चरण के मतदान के लिए नामांकन भरने की तारीख सात अप्रैल को खत्म हो गई और ममता बनर्जी ने दूसरी सीट से नामांकन नहीं किया तो क्या प्रधानमंत्री इस बात पर खेद जताएंगे कि उन्हें गलत सूचना मिली थी? असल में ऐसी कोई सूचना थी ही नहीं, वह प्रधानमंत्री के दिमाग की उपज थी, जिसे उन्होंने वोट प्रभावित करने के लिए इस्तेमाल किया।
मतदान के दिन प्रचार का सिलसिला जारी
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