रियल पालिटिक्स

विधान परिषद में मनोनयन का विवाद!

ByNI Political,
Share
विधान परिषद में मनोनयन का विवाद!
महाराष्ट्र में विधान परिषद के सदस्यों को मनोनीत करने के मुद्दे पर विवाद शुरू हो गया है। राज्य की उद्धव ठाकरे सरकार ने पिछले साल छह नवंबर को 12 नामों की एक सूची राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सौंपी थी। जैसी कि परंपरा रही है, उम्मीद की जा रही थी कि 15 दिन के अंदर राज्यपाल सूची को मंजूरी दे देंगे, जिसके बाद अधिसूचना जारी हो जाएगी। लेकिन तीन महीने बाद तक राज्यपाल ने कोई फैसला नहीं किया है। उन्होंने न मंजूरी दी है और न सूची को खारिज करके नए नाम भेजने को कहा है। इससे पहले उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने इसी तरह तब की अखिलेश यादव सरकार की ओर से भेजी गई सूची को वापस लौटा दिया था। तब के राज्यपाल ने कई नामों पर आपत्ति की थी। संविधान के प्रावधानों के मुताबिक साहित्य, कला, समाजसेवा जैसी अराजनीतिक गतिविधियों से जुड़े लोगों को संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा में मनोनीत किया जाएगा और राज्यों में विधानमंडल के उच्च सदन यानी विधान परिषद में मनोनीत किया जाएगा। राम नाईक ने इसी आधार पर आपत्ति की थी कि राज्य सरकार ने जो नाम भेजे हैं उनमें कई नेताओं के नाम हैं। अभी तक महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने ऐसी कोई कारण नहीं बताया है। उन्होंने सिर्फ सूची लटका कर रखी है। याद करें कैसे उन्होंने उद्धव ठाकरे के विधान परिषद का सदस्य बनने के रास्ते में रोड़ा अटकाया था। कम कार्यकाल वाली सीटें खाली थीं, जिनके जरिए उद्धव ठाकरे को परिषद का सदस्य बनना था ताकि छह महीने के अंदर विधायक बनने की संवैधानिक जरूरत को पूरा किया जा सके। लेकिन राज्यपाल ने मंजूरी नहीं दी। इसके लिए उद्धव ठाकरे को सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करनी पड़ी और तब एक दिन के भीतर राज्यपाल और चुनाव आयोग दोनों की तरफ से अधिसूचना जारी करने का फैसला हो गया। बहरहाल, महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार में शामिल पार्टियों शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस ने जो 12 नाम भेजे हैं, उनमें कुछ राजनीतिक लोगों के नाम हैं। जैसे एनसीपी ने भाजपा के पुराने नेता एकनाथ खड़से, महाराष्ट्र के सम्मानित किसान नेता और पूर्व सांसद राजू शेट्टी और अपनी पार्टी के नेता यशपाल बिंजे का नाम भेजा है। इसी तरह कांग्रेस ने अपने प्रवक्ता सचिन सावंत और पूर्व सांसद रजनी पाटिल का नाम भेजा है। लेकिन इनके अलावा मशहूर अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर, संगीतकार आनंद शिंदे, मोटिवेशनल स्पीकर नितिन बांगुडे पाटिल आदि का भी नाम भेजा है। राज्यपाल अगर राजनीतिक नामों की वजह से सूची रोके हुए हैं तब भी उनको इसकी सूचना राज्य सरकार को देनी चाहिए ताकि सरकार आगे का कदम तय कर सके। राज्य के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा है कि सरकार कानूनी कदम उठाने के बारे में सोच रही है। कानूनी विवाद से अच्छा होगा कि राज्यपाल फैसला करें और पुराने उदाहरणों का ध्यान रखें।
Published

और पढ़ें