रियल पालिटिक्स

यूपी चुनाव और सम्राट अशोक पर विवाद

ByNI Political,
Share
यूपी चुनाव और सम्राट अशोक पर विवाद
बिहार के नेताओं ने सबसे पहले सम्राट अशोक की जाति का पता लगाया और उनको कोईरी बता कर उनके नाम पर जातीय गौरव की राजनीति शुरू की। उसके बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सम्राट अशोक की जन्मतिथि का पता लगाया और उनकी जयंती मनाई जाने लगी। अब एक लेखक दया प्रकाश सहाय ने सम्राट अशोक की तुलना मुगल शासक औरंगजेब से करते हुए उन्हें क्रूर और बर्बर बताया है। साथ ही कुरूप और अय्याश भी कहा है। इससे बिहार का कुशवाहा समाज भड़का हुआ है। संयोग है कि पिछले दिनों दया प्रकाश सहाय को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला और तब यह चर्चा हुई कि वे आरएसएस और भाजपा के करीबी हैं इसलिए उनको यह सम्मान मिला है। यह भी संयोग है कि उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े कुशवाहा नेताओं में से एक स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा छोड़ी है और सपा में शामिल हुए हैं। सो, यूपी में भी यह कुशवाहा समाज के लिए प्रतिष्ठा का मामला बना है। इससे भाजपा को नुकसान हो सकता है लेकिन हकीकत यह है कि राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ और भाजपा के हिसाब से सम्राट अशोक को नाहक इतना बड़ा बनाया गया है। संघ और भाजपा के विचारक किस्म के नेताओं और पदाधिकारियों का कहना है कि सम्राट अशोक के कारण भारत की शासन की नीतियां नरम हुईं, बौद्ध धर्म को राजधर्म बनाया गया, अहिंसा को अपनाया गया, जिससे देश कमजोर हुआ और विदेशी आक्रमण शुरू हुए। उनके हिसाब से चंद्रगुप्त असल योद्धा और महान शासक थे, जिनकी सेना ने सिकंदर की सेना को हराया था। हालांकि चंद्रगुप्त भी बाद में जैन हो गए थे। फिर भी उनके प्रति सम्राट अशोक से ज्यादा सद्भाव है। तभी ऐसा लग रहा है कि सम्राट अशोक को लेकर शुरू हुआ विवाद अनायास नहीं है।
Published

और पढ़ें