भारत में कोरोना वायरस के घटते मामलों का रहस्य धीरे धीरे खुलने लगा है। अब तक तो सारी दुनिया इस बात को लेकर हैरान थी कि पिछले साल सितंबर के बाद जब दुनिया भर में कोरोना वायरस के केसेज बढ़ने लगे तो भारत में कैसे घटने का सिलसिला शुरू हुआ? ध्यान रहे भारत में सितंबर के मध्य में कोरोना का पीक आया था और जैसे जैसे सर्दियां बढ़ने लगीं वैसे वैसे भारत में केसेज कम होने लगे और अब 10-12 हजार से ज्यादा केसेज नहीं आ रहे हैं। एक्टिव केसेज की संख्या भी एक लाख 40 हजार से कम हो गई है। सबको हैरानी थी कि ऐसा कैसे हो रहा है। अब यह राज खुलने लगा है।
अंग्रेजी के अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने बिहार में कोरोना टेस्टिंग को लेकर एक स्टोरी की है, जिसमें बताया गया है कि टेस्टिंग के ज्यादातर आंकड़े प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बैठ कर बनाए जा रहे हैं। बिना सैंपल लिए या बिना जांच किए ही लोगों के नाम, पते और मोबाइल नंबर लिए दिए जा रहे हैं और उनको निगेटिव बता दिया जा रहा है। इंडियन एक्सप्रेस ने जमुई, शेखपुरा और पटना में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के डाटा की जांच की है और इनमें से आधे से ज्यादा नाम, पते और फोन फर्जी मिले हैं। मिसाल के तौर पर शेखपुरा में सोनाली कुमारी और अजित कुमार की जांच होने का रिकार्ड है। इन दोनों की रिपोर्ट निगेटिव बताई गई है और इनके नाम के आगे जो फोन नंबर लिखा है वह उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ की एक मिठाई की दुकान का है।
जमुई में 16, 18 और 25 जनवरी को 588 टेस्ट किए गए थे। इंडियन एक्सप्रेस ने यह पूरा डाटा लेकर सभी 588 लोगों के नाम के आगे लिखे फोन नंबरों पर फोन किया। हैरानी की बात है कि जमुई के बरहट में 230 लोगों की जांच हुई थी, जिसमें से सिर्फ 12 ने कन्फर्म किया उनकी जांच हुई है। इसी तरह सिकंदरा में 208 एंट्री में से सिर्फ 43 ने कन्फर्म किया कि उनकी जांच हुई है और जमुई सदर में 150 में से 65 ने कन्फर्म किया कि उनकी जांच हुई है। बरहट में 14 नामों के आगे एक नंबर की एंट्री थी और वह नंबर ही वैध नहीं था। ऐसे ही 11 नामों के आगे एक नंबर लिखा था और वह भी वैध नहीं था। सिकंदरा में भी 13 नामों के आगे एक फोन नंबर था वह वैध नहीं था। बरहट में 26 नामों के आगे एक फोन नंबर था, जो जांच करने पर बांका जिले में रहने वाले एक व्यक्ति का था, जिसने साफ कहा कि इन 26 लोगों से उसका कोई संबंध नहीं है और उसने कोई जांच नहीं कराई है।