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फिर केरल मॉडल की चर्चा

ByNI Political,
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फिर केरल मॉडल की चर्चा
Kerala | कोरोना वायरस की पहली लहर में देश में केरल की कहानी सिल्वर लाइनिंग की तरह थी। केरल ने रास्ता दिखाया था कि किसी भी महामारी से कैसे लड़ा जा सकता है। हालांकि बाद में वहां भी केसेज तेजी से बढ़े थे। दिल्ली और मुंबई के बाद Kerala के कोच्चि और तिरुवनंतपुरम हवाईअड्डे पर सबसे ज्यादा लोग विदेश से आते हैं। इसके अलावा पिछले साल पोंगल के उत्सव में राज्य के लोगों ने खुल कर हिस्सा लिया, जिससे कोरोना का विस्फोट हुआ। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में भी केरल रास्ता दिखा रहा है। इस समय जब पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी को लेकर हाहाकार मचा है तो केरल संभवतः इकलौता राज्य है, जो अपनी जरूरत पूरी करने के बाद बिना किसी हिचक या तनातनी के पड़ोसी राज्यों को ऑक्सीजन मुहैया करा रहा है। Kerala असल में Kerala ने दूसरी लहर शुरू होने से पहले ही भांप लिया था कि आगे महामारी बढ़ सकती है। इसलिए उसने ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता बढ़ाई। इस समय केरल में 80 टन ऑक्सीजन की रोज खपत है और राज्य में कोरोना की महामारी से निपटने में लगे चिकित्सा अधिकारियों का अनुमान है कि 30 अप्रैल तक राज्य को एक सौ टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ सकती है। इसके बरक्स राज्य के पास 246.1 टन मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की क्षमता है। अलग अलग जिलों में सरकार ने बड़ी संख्या में ऑक्सीजन की स्टॉक किया है। Kerala

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पूरे देश में संभवतः Kerala इकलौता राज्य है, जिसने समय रहते ऑक्सीजन की जरूरत समझी, उसका उत्पादन बढ़वाया और उसका स्टॉक किया। इसी वजह से Kerala एकमात्र राज्य है, जहां ऑक्सीजन का अतिरिक्त स्टॉक है और वह इसमें से कुछ हिस्सा भाजपा शासित कर्नाटक और भाजपा की सहयोगी अन्ना डीएमके शासित तमिलनाडु को भेज रहा है। केरल में समय से पहले की गई तैयारियों की वजह से आज केरल में मृत्यु दर संभवतः सबसे कम है। राज्य में कुल 13 लाख के करीब लोग संक्रमित हुए हैं पर उनमें से पांच हजार लोगों की ही मौत हुई है। इसके मुकाबले कर्नाटक में 12 लाख लोग संक्रमित हुए लेकिन 13 हजार सात सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुई। केरल से लगभग तीन गुने लोग मरे। तमिलनाडु में तो 10 ही लाख केस हैं पर 13 हजार से ज्यादा लोग मरे। उत्तर प्रदेश नौ लाख 42 हजार संक्रमित हैं और 10 हजार से ज्यादा की मौत हुई है।

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