सरकार चाहे जिसकी हो पर कोरोना वायरस के संकट के दौर में कोई नहीं चाहता कि उनके यहां संक्रमण के ज्यादा मरीज आएं। तभी दुनिया के दूसरे सभ्य और विकसित देशों में आजमाए गए फार्मूले के तहत अगर किसी राज्य या शहर में अधिकारी ज्यादा टेस्ट करा रहे हैं और मरीजों को ट्रेस करके उनको इलाज के लिए भेज रहे है तो उनको सजा दी जा रही है। सरकारें चाहती हैं कि कम से कम टेस्ट हो ताकि मरीजों की संख्या कम पता चलेगा। संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित दो शहरों में ऐसा देखने को मिला कि जो अधिकारी प्रो एक्टिव होकर काम कर रहे थे, ज्यादा टेस्ट करा रहे थे, उनके हटा दिया गया। उन्हें हटा कर यह मैसेज दिया गया कि उनके रहते कोरोना का संक्रमण रूक नहीं रहा था।
पहले महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई में बृहन्नमुंबई महानगरपालिका के आयुक्त प्रवीण परदेसी को हटाया। प्रवीण परदेसी मुंबई में जांच की संख्या लगातार बढ़ा रहे थे और संक्रमितों की पहचान करके, उन्हें आइसोलेट करने और इलाज कराने का काम कर रहे थे। पर अचानक एक दिन उनको हटा दिया गया और उनकी जगह नया आयुक्त नियुक्त कर दिया गया। हालांकि उसके बाद भी मरीजों की संख्या कम नहीं हुई है। बिल्कुल यहीं कहानी अहमदाबाद में दोहराई गई है। अहमदाबाद के निगम आयुक्त विजय नेहरा का भी तबादला कर दिया गया। वे भी लगातार टेस्टिंग बढ़ा रहे थे और मरीजों को ट्रेस करके इलाज पर ध्यान दे रहे थे। पर उनको वहां से हटा कर ग्रामीण विकास विभाग में भेज दिया गया है। ध्यान रहे उनके कामकाज की विपक्षी पार्टियां भी तारीफ कर रही थीं और आम लोग तो उनके प्रशंसक थे ही।
ज्यादा टेस्ट करने वाले अधिकारियों को सजा
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