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बिहार में चुनाव पर ग्रहण

ByNI Political,
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बिहार में चुनाव पर ग्रहण
बिहार में विधानसभा चुनाव पर ग्रहण लगता दिख रहा है। राज्य में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। ऐसा इसके बावजूद हो रहा है कि बिहार में सबसे कम टेस्टिंग हो रही है। बिहार में दस लाख की आबादी पर सिर्फ 2,197 लोगों की टेस्टिंग हो रही है। राष्ट्रीय औसत भी इससे तीन गुना से ज्यादा है। पड़ोसी राज्य झारखंड में भी इससे दोगुने टेस्ट हो रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि समय पर चुनाव कराने की चिंता में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संक्रमितों की संख्या कम दिखाना चाहते हैं और इसलिए टेस्टिंग नहीं बढ़ाई जा रही है। परंतु यह कोई समाधान नहीं है। जैसे वे कई महीनों तक घर से नहीं निकले यह सोच कर कि इससे कोरोना नहीं होगा पर इसके बावजूद कोरोना वायरस उनके घर तक पहुंच गया। खबर है कि उनकी भतीजी को वायरस का संक्रमण हो गया है, जो मुख्यमंत्री आवास में ही रहती है। हाल ही में विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह संक्रमित हुए, जिसके बाद मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री सबकी टेस्टिंग कराई गई। बहरहाल, जिस तरह कोरोना का संकट मुख्यमंत्री निवास तक पहुंचा वैसे ही वह बिहार के घर घर तक पहुंच रहा है। अब तक केंद्र सरकार नीतीश कुमार के इस दांव में उनक साथ देती दिख रही थी, जिससे लग रहा था कि कोरोना के बावजूद चुनाव समय पर होंगे। पर अब केंद्र का रुख बदला दिख रहा है। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने ट्विट करके राज्यों के टेस्टिंग का आंकड़ा शेयर किया है। इसमें उन्होंने खासतौर से बिहार का जिक्र किया है और बताया है कि देश के 19 बड़े राज्यों में सबसे कम टेस्ट बिहार में हो रहा है। उन्होंने दिल्ली की टेस्टिंग का हवाला देते हुए बताया है कि दिल्ली के मुकाबले बिहार में टेस्टिंग का आंकड़ा 15 गुना कम है। यानी बिहार से 15 गुना ज्यादा टेस्टिंग दिल्ली में हो रही है। एक जानकार ने बताया कि अगर दस करोड़ की आबादी वाला बिहार अगर एक देश होता तो टेस्टिंग में उसका स्थान 171वां होता। वैसे दुनिया में भरात का स्थान भी 138वां है। बहरहाल, बिहार में जब सिर्फ 22 सौ टेस्टिंग पर दो सौ औसतन केस आ रहे हैं तो इसे बढ़ा कर 20 हजार कर दिया जाए क्या होगा? जाहिर है टेस्टिंग बढ़ेगी तो केसेज बढ़ेंगे और तब चुनाव कराना मुश्किल हो जाएगा। तभी जैसे ही नीति आयोग का यह आंकड़ा आया कि टेस्टिंग में बिहार सबसे नीचे है वैसे ही टेस्टिंग बढ़ाने और चुनाव टालने की चर्चा शुरू हो गई। अनेक राजनीतिक कार्यकर्ता भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने और चुनाव टालने की मांग करने लगे। ध्यान रहे बिहार में विधानसभा का कार्यकाल 27 नवंबर तक है। सो, अक्टूबर के पहले हफ्ते में भी चुनाव की घोषणा करके चुनाव कराया जा सकता है। पर यह तब होगा, जब अगले तीन महीने में कोरोना वायरस काबू में हो। जबकि जानकारों का मानना है कि बिहार में अगले तीन महीने में कोरोना का पीक आने का समय है।
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