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जंग छोड़ कर अब कोरोना से दोस्ती!

ByNI Political,
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जंग छोड़ कर अब कोरोना से दोस्ती!
भारत कोरोना वायरस से जंग लड़ रहा था और वह भी महाभारत के स्तर का जंग। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को पहले लॉकडाउन की घोषणा करने के एक दिन बाद वाराणसी के अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि जिस तरह से महाभारत की लड़ाई 18 दिन में जीत ली गई थी उसी तरह कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई 21 दिन में जीत ली जाएगी। इससे पहले उन्होंने 24 मार्च को रात आठ बजे लॉकडाउन की घोषणा करते हुए यह भी कहा था कि इन 21 दिनों में कोरोना वायरस के संक्रमण की चेन टूट जाएगी और भारत जीत जाएगा। चूंकि खुद प्रधानमंत्री ने कहा था कि इसलिए यह मानने की कोई वजह नहीं थी कि देश कोरोना वायरस से जंग लड़ रहा है। बाद में भी प्रधानमंत्री ने एक बार इस लड़ाई की तुलना पारंपरिक युद्धों से करते हुए लोगों से दान देने की अपील की और कहा कि भारत में परंपरा रही है कि युद्ध के समय महिलाएं अपने जेवर तक दान दे देती थीं। तभी देश के 130 करोड़ लोगों ने बिना किसी शंका के माना कि यह जंग है और सबने इस अपने आर्थिक हित की परवाह किए बगैर यह जंग जीतने में लग गए, यानी घर बैठ गए अपने प्रधानमंत्री पर भरोसा करके। लेकिन अब सरकार कह रही है कि कोरोना से जंग नहीं करनी है, बल्कि दोस्ती करनी है। सोचें, कोरोना से जंग लड़ने के नाम पर पिछले 47 दिन से घरों में बंद कर दिए लोगों को यह सुन कर कैसा लग रहा होगा कि अपने सबसे बड़े दुश्मन से दोस्ती करनी है? इसे बौद्धिक भाषा में पैराडाइम शिफ्ट कहते हैं। पर ऐसे मामले में सरकार एकदम पैराडाइम शिफ्ट कैसे कर सकती है, जिसमें उसने खुद 130 करोड़ लोगों का जीवन दांव पर लगाया है? पहले सरकार ने कहा कि कोरोना से जंग लड़ कर उसे हराना है और अब कह रही है कि कोरोना के साथ रहना सीखना होगा, उससे दोस्ती करनी होगी, उसके साथ रहने की आदत बनानी होगी, इसका क्या मतलब है? क्या इसका मतलब यह है कि कोरोना से जंग के नाम पर लॉकडाउन लागू करते समय भी सरकार के पास जंग जीतने की कोई रणनीति नहीं थी और अब दोस्ती करने की सलाह देते हुए भी कोई रणनीति नहीं है? इसका मतलब यह भी है कि 56 इंच की छाती के बावजूद सरकार वैसी ही लिजलिजी है, जैसे कोई भी कमजोर इंसान हो सकता है, जो दुश्मन को पहले तो ललकारे और देख ले कि दुश्मन तगड़ा है तो उससे दोस्ती कर ले। आने वाले दिनों में यह लिजलिजी रणनीति और भी जगहों पर देखने को मिल सकती है।
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