इस समय जितनी जरूरत कोरोना वायरस से लड़ने के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं जुटाने और लोगों को अलग-थलग रहने के लिए जागरूक करने की है उतनी ही जरूरत अफवाहों को रोकने की है। इस समय हजार तरह की अफवाहें फैल रही हैं, जिनसे लोगों का जीवन खतरे में पड़ रहा है। हजारों की संख्या में जो मजदूर दिल्ली-यूपी बॉर्डर से पैदल चल कर उत्तर प्रदेश के अलग अलग जिलों में अपने घरों के लिए निकले, वह भी अफवाहों का ही नतीजा था। यूपी के लोगों के बीच यह अफवाह फैल गई कि सीमा पर उत्तर प्रदेश सरकार ने बसों की व्यवस्था की है। सो, लोग सामान और परिवार के सदस्यों के साथ निकल गए।
ऐसे ही एक अफवाह यह फैली हुई है कि लॉकडाउन तीन महीने तक चलने वाला है। इसके लिए लोग सरकार की घोषणाओं का ही बहाना ले रहे हैं। बताया जा रहा है कि सरकार ने तीन महीने तक मुफ्त राशन देने की घोषणा की है या रिजर्व बैंक ने तीन महीने तक कर्ज की किश्तें चुकाने से छूट दी है या तीन महीने तक रामायण सीरियल का फिर से प्रसारण होने वाला है। इन तीन बातों के सहारे समझदार लोग भी समझा रहे हैं कि लॉकडाउन तीन महीने चलने वाला है। पता नहीं सही या गलत किसी स्वास्थ्यकर्मी के आपात पहचान पत्र पर छपा है कि वह पहचान पत्र 15 जून तक वैध है। उसकी फोटो वायरस हो रही है और बताया जा रहा है कि आपात स्थिति जून तक चलने वाली है। इस तरह की अफवाहें पहले से घरों में बंध लोगों को बीमार और अवसादग्रस्त बना सकती हैं।
कुछ अफवाहें इस बीमारी के टीके और इलाज को लेकर फैली हैं। लोग बता रहे हैं कि इसका टीका तैयार हो गया और अमुक जगह से मिल सकता है। कुछ लोग अलग अलग दवाएं बता रहे हैं, जिनसे इसका इलाज संभव है। अमेरिका में दवा खोज लिए जाने की अफवाह है तो चीन को लेकर यह अफवाह है कि उसने वायरस फैलाया, उसके पास टीका और दवा दोनों हैं और अब वह पूरी दुनिया को अपना बाजार बना रहा है। खाने-पीने की चीजों की कमी को लेकर अफवाह पहले से चल रही है। पिछले दिनों आटा और नमक का स्टॉक खत्म होने की अफवाह ऐसी फैली कि लोगों ने सारी दुकानों से ये दोनों चीजें खत्म कर दीं।
छोटी-छोटी जगहों से ऐसी खबरें आ रही हैं कि व्हाट्सएप समूहों और फेसबुक पर भी लोग यह सच्ची-झूठी जानकारी दे रहे हैं कि अस्पतालों में कोई व्यवस्था नहीं है या कोरोना वायरस के मरीजों को अस्पतालों में नहीं भर्ती किया जा रहा है। इस तरह की बातों की वजह से लोग जांच के लिए नहीं जा रहे हैं। इसकी वजह से कुछ दिन के बाद अचानक गंभीर मामलों की बाढ़ आ सकती है। सरकार को निश्चित रूप से इसे रोकने के लिए कोई न कोई रास्ता निकालना होगा।
अफवाहों पर रोक लगाने के उपाय हों
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