उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नाराज कर दिया है। यह दूसरा मौका है, जब नीतीश इस कदर बौखलाए हैं। असल में नीतीश चाहते हैं कि बिहार का जो मजदूर, जो छात्र जहां है वहीं रहे, वहीं जीए-मरे, बिहार लौट कर न आए। योगी आदित्यनाथ अपने लोगों को बाहर निकालने के अभियान में लगे हैं। उन्होंने पहले दिल्ली, पंजाब, हरियाणा में काम करने वाले उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूरों को दिल्ली की सीमा पर बसे लगवा कर उसमें बैठाया और उनके घर भेजा। योगी की मदद से काफी बिहारी मजदूर भी घर लौट सके। तब भी नीतीश कुमार और उनके कई मंत्रियों ने बिना नाम लिए योगी आदित्यनाथ, अरविंद केजरीवाल आदि की लानत मलानत की थी।
अब योगी ने एक नया काम कर दिया है, जिसके लिए निश्चित रूप से वे तारीफ के हकदार हैं। उन्होंने ढाई सौ से ज्यादा बसें लगवा कर राजस्थान के कोटा में फंसे अपने राज्य के करीब साढ़े सात हजार बच्चों को निकलवाया और उन्हें उनके घर भेजा है। ध्यान रहे कोटा में यूपी से ज्यादा बच्चे बिहार के होंगे। वे सारे बच्चे भी अपने घर जाने की मांग कर रहे हैं। जैसे जैसे कोटा में कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं और लॉकडाउन की अवधि लंबी हुई है वैसे वैसे बिहार में भी अभिभावक बेचैन होने लगे हैं। ऊपर से योगी आदित्यनाथ ने अपने राज्य के बच्चों को निकलवा लिया। तभी नाराज होकर नीतीश ने कहा कि यह लॉकडाउन के सिद्धांत के साथ अन्याय है।
सोचें, योगी आदित्यनाथ भाजपा के नेता हैं और लॉकडाउन लागू करने वाले प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी को उनसे कोई शिकायत नहीं है पर नीतीश को लग रहा है कि योगी गलत कर रहे हैं। ऐसा सिर्फ इसलिए लग रहा है क्योंकि नीतीश नहीं चाहते कि उनको अपने राज्य के बच्चों को निकलवाना पड़े। उन्हें लगता है कि बाहर से प्रवासी मजदूर या छात्र लौटेंगे तो कोरोना का केस बढ़ सकता है और इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। अगर मरीज बढ़े तो बिहार में उन्होंने 15 साल में जो स्वास्थ्य सेवा विकसित की है उसकी हकीकत जाहिर हो जाएगी।