ज्यादातर लोग अभी इस बारे में बात नहीं कर रहे हैं पर बात नहीं करने से सचाई नहीं टल जाने वाली है। जिस तरह सरकार ने गरीब कल्याण की योजना घोषित की उसी तरह उसे राज्यों में पैकेज भेजने चाहिए और उसी तरह कारपोरेट की मदद के लिए भी पैकेज की घोषणा करनी चाहिए। जिस दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत एक लाख 70 हजार करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की उस दिन प्रेस कांफ्रेंस में उनसे कारपोरेट के पैकेज के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस बारे में बाद में बात करेंगे। पर इस बारे में अभी ही बात करनी होगी क्योंकि इसमें देरी से आर्थिक बरबादी का रास्ता खुलेगा।
ध्यान रहे देश में लॉकडाउन भले 21 दिन का है पर कारोबारी गतिविधियां लंबे समय के लिए ठप्प हो गई हैं। अगर लॉकडाउन आगे बढ़ा तो आर्थिकी की तबाही और ज्यादा होगी। ऊपर से सरकार ने कंपनियों और छोटे उद्यमों से भी कहा है कि वे अपने यहां काम करने वाले लोगों की छंटनी नहीं करें और लॉकडाउन पीरियड में उनको काम पर मान कर उनका वेतन दें। कंपनियां ऐसा कर भी रही हैं और साथ ही कोरोना वायरस से लड़ने में सरकार की मदद भी कर रही हैं। इसलिए सरकार को भी उनकी मदद करनी चाहिए। कर्ज के भुगतान में रियायत करके, शुल्क में छूट देकर या सीधे आर्थिक मदद देकर उनको बचाया जा सकता है। हर सेक्टर को ऐसी मदद की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो कोरोना वायरस खत्म होने से पहले ही देश में आर्थिक तबाही मच जाएगी।