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पीएमसी बैंक का समाधान क्यों नहीं निकला?

ByNI Political,
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पीएमसी बैंक का समाधान क्यों नहीं निकला?
यस बैंक का समाधान निकल गया। दो हफ्ते से भी कम समय में सरकार ने यस बैंक का संकट सुलझा दिया और बैंक से पहले की तरह सुचारू रूप से काम होने लगा। देश के सबसे बड़े बैंक, एसबीआई के साथ साथ निजी क्षेत्र के कई बैंकों और वित्तीय संस्थाओं ने इसमें जरूरी पैसे लगा दिए और भारतीय रिजर्व बैंक ने 60 हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्त क्रेडिट लाइन जारी कर दी ताकि बैंक को कर्ज वगैरह देने में कोई दिक्कत न हो। सोचें, इस बैंक का मामला दो हफ्ते में निपटा, जबकि पंजाब एंड महाराष्ट्र बैंक का मामला पिछले साल सितंबर से अटका है। सवाल है कि ऐसा क्यों हुआ? जब दोनों बैंक भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देश पर काम करने वाले हैं तो दोनों के साथ अल-अलग बरताव क्यों? क्या पीएमसी बैंक में पैसा जमा करने वाले लोगों और यस बैंक के जमाकर्ताओं में फर्क किया जा सकता है? कहीं ऐसा तो नहीं है कि यस बैंक में तिरुपति से लेकर जगन्नाथपुरी मंदिर तक के सैकड़ों करोड़ रुपए जमा थे इसलिए उसका समाधान जल्दी निकाला गया? या यस बैंक को दिवालिया बनाने वालों में अनिल अंबानी, सुभाष चंद्रा, गौतम थापर जैसे लोग थे इसलिए सरकार ने उसका मामला आनन-फानन में निपटाया? असल में ऐसा लग रहा है कि सरकार नहीं चाहती थी कि यस बैंक के संकट पर देश के आम लोगों का फोकस बने क्योंकि ऐसा होने पर कई ऐसे उद्योगपति निशाने पर आते, जिनकी सरकार से करीबी जगजाहिर है। ऊपर से इसमें पैसा जमा करने वाले भी बड़े लोग थे। इसलिए इसका संकट जल्दी सुलझाया गया। इसके उलट पीएमसी बैंक में पैसा जमा करने वाले साधारण लोग हैं इसलिए उनका मामला टल रहा है। वहां के खाताधारक हर महीने 50 हजार रुपए की निकाल सकते हैं और यह सीमा तीन महीने और बढ़ा दी गई है। यानी जून तक यहीं स्थिति रहेगी।
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