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कांग्रेस में किसने शांति बनवाई?

ByNI Political,
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कांग्रेस में किसने शांति बनवाई?
चाहे अशोक गहलोत ने बनवाई हो या कमलनाथ ने पर हकीकत यह है कि कांग्रेस पार्टी में अस्थायी शांति बन गई है। संघर्षविराम हो गया है। पार्टी के बागी नेता शांति पड़ गए हैं। पार्टी आलाकमान ने भी उन सबका कहीं न कहीं पुनर्वास शुरू कर दिया है। पिछले एक महीने में कांग्रेस कार्य समिति की दो बैठकें हुईं, जिसमें शांति का माहौल दिखा। किसी नेता ने पार्टी आलाकमान को असहज करने वाली बात नहीं उठाई। इस सोमवार यानी 10 मई तो कार्य समिति की बैठक पांच राज्यों में कांग्रेस के बेहद खराब प्रदर्शन पर विचार के लिए हुई थी पर उसमें भी बागी नेता हां में हां मिलाते रहे। सोमवार की बैठक में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों की समीक्षा होनी थी। उससे दो दिन पहले ही कांग्रेस सांसदों की वर्चुअल बैठक में सोनिया गांधी ने कह दिया था कि नतीजे बहुत निराशाजनक और अप्रत्याशित हैं। जाहिर है इसके बाद कहने को कुछ नहीं बचा था। जैसा कि पहले से अंदाजा था असम के प्रभारी जितेंद्र सिंह ने बताया कि कांग्रेस और भाजपा के वोट में बहुत मामूली अंतर है और दो नई क्षेत्रीय पार्टियों ने एंटी इन्कंबैंसी वाले वोट नहीं काटे होते तो कांग्रेस आराम से सरकार बनाती। ऐसा लग रहा था कि राहुल के करीबी जितेंद्र सिंह की घेराबंदी होगी लेकिन सबने उनकी बात को स्वीकार कर लिया। जब कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की बात आई तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि अभी देश के हालात ऐसे नहीं हैं कि चुनाव कराए जाएं। उन्होंने कोरोना वायरस की महामारी का हवाला दिया और चुनाव टालने की अपील की है। इसे तुरंत स्वीकार कर लिया गया। गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा ने भी उनकी हां में हां मिलाई। इससे पहले दोनों के बीच कार्य समिति की बैठक में कहासुनी हुई थी। गहलोत ने आनंद शर्मा की चुनाव कराने की बातों पर आपत्ति करते हुए कहा था कि सारे लोगों को कांग्रेस अध्यक्ष की मनोनीत करती रही हैं। उन्होंने अपने और आनंद शर्मा की ओर इशारा करते हुए कहा था कि हम सबको कांग्रेस अध्यक्ष ने ही मनोनीत किया है। बहरहाल, ऐसा लग रहा है कि पार्टी नेताओं में शांति बनाए रखने पर सहमति बन गई है तभी न तो राज्यों के चुनाव नतीजों को लेकर कोई कहासुनी हुई और न अध्यक्ष का चुनाव टलने पर हुई। इस बीच कार्य समिति की बैठक से पहले कांग्रेस अध्यक्ष ने कोरोना वायरस की महामारी के बीच कांग्रेस की ओर से लोगों की मदद के लिए एक कमेटी बनाई, जिसकी कमान गुलाम नबी आजाद को दी गई। यह कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं है लेकिन कम से कम जिम्मेदारी मिलने की शुरुआत हुई है। इसी तरह कार्य समिति की बैठक के तुरंत बाद चुनाव नतीजों की समीक्षा के लिए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई, जिसमें मनीष तिवारी को भी शामिल किया गया।
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