अमेरिका में बसे भारतीय मूल के अरबपति कारोबारी दर्शन सिंह धालीवाल का नाम देश के लोगों ने सुन रखा है। कोई सवा साल पहले अक्टूबर 2021 में वे भारत आए थे तब भारत सरकार ने उनको इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से ही वापस लौटा दिया था। उनको हवाईअड्डे से बाहर नहीं निकलने दिया गया था। उनका कसूर यह था कि उन्होंने केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों का समर्थन किया था। उन्होंने दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों के लिए लंगर लगवाया था। उन्होंने खुद कहा था कि किसानों का समर्थन करने की वजह से उनको हवाईअड्डे से ही लौटा दिया गया।
अब भारत सरकार ने उनको प्रवासी भारतीय सम्मान के लिए चुना है। दुनिया के दूसरे देशों में बसे भारतीयों को दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मान के लिए दर्शन सिंह धालीवाल का चुनाव हैरान करने वाला है। खुद धालीवाल ने कहा है कि भारत सरकार ने दो साल के भीतर उनको दो शॉक दे डाले। पहले हवाईअड्डे से लौटाया और अब प्रवासी भारतीयों के लिए किए उनके काम को पहचाना है और प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया है।
इस बार धालीवाल खुश हैं। पर सवाल है कि सरकार इतनी मेहरबान क्यों हो गई? क्या सरकार को अपनी गलती का अहसास हो गया है? क्या सरकार की तरफ से कोई उनसे खेद जताएगा? असल में भारतीय जनता पार्टी अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव और हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर आशंका में है। उसको लग रहा है कि किसान आंदोलन का भूत उसका पीछा नहीं छोड़ेगा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और कुछ अन्य इलाकों में उसे नुकसान हो सकता है। राहुल गांधी की यात्रा ने भी भाजपा की चिंता बढ़ाई है। इसलिए सरकार गलतियों को ठीक करने में लगी है।