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केजरीवाल की राष्ट्रीय भूमिका की तैयारी!

ByNI Political,
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केजरीवाल की राष्ट्रीय भूमिका की तैयारी!
मंगलवार की सुबह जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे नहीं आए थे और रूझानों में आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलने लगा तभी पार्टी के कार्यालय के बाहर एक नई होर्डिंग लगी, पार्टी के ट्विटर हैंडल पर नारा बदला और पार्टी की ओर से ट्विट किया गया ‘राष्ट्र निर्माण के लिए आम आदमी पार्टी से जुड़िए’। इसके साथ एक फोन नंबर दिया गया और अरविंद केजरीवाल की फोटो लगाई गई। ऐसा लग रहा है कि पहले से इसकी प्लानिंग थी कि पार्टी जैसे ही जीत की ओर बढ़ेगी, राष्ट्रीय राजनीति में केजरीवाल के फिर से उतरने का दांव चला जाएगा। दोपहर बाद जब आप की जीत की तस्वीर साफ हो गई और यह पता चल गया कि एक बार फिर भारी बहुमत से केजरीवाल की सरकार बनने जा रही है तो ट्विटर पर केजरीवाल और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की तस्वीर आई और आते ही वायरल हो गई। तस्वीर की पृष्ठभूमि में एक न्यूज चैनल है, जिसमें आप को 57 सीट मिलती दिख रही है। पहले होर्डिंग और नए नारे का आना और फिर प्रशांत किशोर और केजरीवाल की फोटो वायरल होने के साथ ही अटकलों का दौरा शुरू हो गया। आम आदमी पार्टी के नेता फिलहाल इस बारे में कुछ भी कहने से बच रहे हैं पर पार्टी की रणनीति से जुड़े गैर राजनीतिक लोगों का कहना है कि प्रशांत किशोर और उनकी आई-पैक टीम के केजरीवाल से जुड़ने के साथ ही इस बात की रणनीति बनने लगी थी कि तीसरी बार अगर केजरीवाल जीतते हैं तो वे फिर से राष्ट्रीय राजनीति में हाथ आजमाएंगे। इस बार उनके लिए बेहतर संभावना मानी जा रही है। असल में आई-पैक के सदस्यों का मानना है कि केजरीवाल ने 2014 में जो किया वह दुस्साहस था। उस समय देश में स्थितियां ऐसी नहीं थीं कि नरेंद्र मोदी को चुनौती दी जा सके। पर अब हालात अलग हैं। अब आर्थिकी की वजह से, एक के बाद एक राज्यों में भाजपा की हार की वजह और राष्ट्रीय स्तर पर विकल्प की कमी की वजह से केजरीवाल के लिए संभावना है। यह भी कहा जा रहा है कि केजरीवाल के राष्ट्रीय प्रयोग की शुरुआत बिहार से हो सकती है। प्रशांत किशोर का लक्ष्य बिहार का चुनाव है। वे जल्दी ही बिहार में अपने संभावित प्रयोग के बारे में खुलासा करेंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि इसमें वे अरविंद केजरीवाल की कैसी भूमिका बनाते हैं। बहरहाल, यह माना जा रहा है कि राष्ट्र निर्माण का अभियान शुरू करने से देश भर से कार्यकर्ता आप के साथ जुड़ेंगे। दिल्ली में प्रचंड बहुमत की सरकार फिर से बनाने के बाद केजरीवाल को दूसरे राज्यों में भी गंभीरता से लिया जाएगा और उनके विकास मॉडल की मांग राज्यों में उठेगी।
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