दिल्ली में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं। आमतौर पर केंद्र सरकार में दिल्ली से जीते दो सांसदों को मंत्री रखा जाता है। कई बार इससे ज्यादा सांसद भी मंत्री रहे हैं। मनमोहन सिंह की सरकार में दिल्ली कोटे से तीन-तीन मंत्री रहे हैं। नरेंद्र मोदी की पिछली सरकार में भी दिल्ली के दो मंत्री होते थे। एक डॉक्टर हर्षवर्धन और दूसरे राजस्थान से राज्यसभा के सदस्य विजय गोयल। पर इस बार सरकार में सिर्फ हर्षवर्धन ही मंत्री हैं। तभी कहा जा रहा है कि अगर दिल्ली विधानसभा चुनाव के ऐन बीच में मंत्रिपरिषद में फेरबदल हुई तो एक और मंत्री बन सकता है।
सवाल है कि वह नया मंत्री कौन होगा? यह तय है कि अगर चुनाव के बीच नया मंत्री बनाया जाता है तो वह अपने आप मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर हो जाएगा। इसके बावजूद दिल्ली से जीते पार्टी के सातों सांसद इसके लिए तैयार हैं उनको केंद्र में मंत्री बना दिया जाए। क्योंकि दिल्ली में भाजपा के शायद ही किसी नेता को यकीन है कि पार्टी जीतेगी और उसकी सरकार बनेगी।
जब सरकार बनने की संभावना ही नहीं दिख रही है तो क्यों नहीं केंद्र में मंत्री बन जाया जाए, यह सबकी सोच है। बहरहाल, वैश्य कोटे से हर्षवर्धन मंत्री हैं। सिख और पंजाबी कोटे से हरदीप सिंह पुरी और स्मृति ईरानी मंत्री हैं और बगल के राज्य हरियाणा में भाजपा ने पंजाबी मुख्यमंत्री बना रखा है। गूजर में भी फरीदाबाद से जुटे कृष्णपाल गूजर मंत्री हैं। तभी सवाल है कि क्या पार्टी किसी प्रवासी या जाट को मंत्री बना सकती है? इस लिहाज से प्रवेश वर्मा और मनोज तिवारी दोनों के समर्थक उम्मीद लगाए बैठे हैं।