
दिल्ली के चुनाव नतीजों के बाद सोशल मीडिया में भाजपा के समर्थक एक सवाल पूछे रहे हैं, जिसका जवाब निश्चित रूप से दिया जाना चाहिए। भाजपा समर्थक पूछ रहे हैं कि झारखंड और दिल्ली के चुनाव नतीजों के बाद क्या यह मान लिया जाना चाहिए कि अब इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन, ईवीएम पर उठने वाले सवाल खत्म हो जाएंगे? यह बहुत अहम सवाल है। पर मुश्किल यह है कि ईवीएम पर सवाल उठाने वाले लोग इसका सीधा जवाब नहीं दे रहे हैं। वे केक रखना भी चाह रहे हैं और केक खा भी जाना चाह रहे हैं। वे किसी तरह से इस मुद्दे को जिंदा रखना चाह रहे हैं।
तभी ईवीएम पर सवाल उठाने वाले ज्यादातर लोग या तो ईवीएम के सवाल पर चुप हैं या कह रहे हैं कि जान बूझकर छोटे छोटे राज्यों में ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं हो रही है ताकि लोगों का इस पर भरोसा रहे। यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा की असली नजर बड़े राज्य और लोकसभा चुनावों पर है। यानी साजिश थ्योरी में भरोसा करने वाले यह मान कर राजी नहीं हैं कि ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं हो सकती। वे इस आम आदमी पार्टी की इस जीत को सही मान रहे हैं और उनको यकीन है कि भाजपा हार ही रही थी, सो हार गई। पर अगर भाजपा जीतेगी तो उसे वे ईवीएम का कमाल मानेंगे। हालांकि ऐसा कहना जनादेश का अपमान होगा।