आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हर तरह से यह प्रमाणित कर रहे हैं कि नेताओं की कथनी और करनी में कोई तालमेल नहीं होता है। वे जो कहते हैं वह कतई नहीं करते हैं या उसका उलटा करते हैं। उनके दिखाने के दांत अलग होते हैं और खाने के अलग। सोचें, केजरीवाल कैसी वेश-भूषा में रहते हैं। एकदम साधारण आदमी की तरह पैंट-शर्ट पहनते हैं और साधारण सैंडल या सर्दियों में जूते। पहनावे में कोई दिखावा नहीं है। वे आम आदमी होने का अहसास कराते हैं लेकिन अपने सरकारी घर की साज-सज्जा पर उन्होंने 45 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। सोचें, एक बने बनाए सरकारी घर में वे रहने गए थे और पिछले तीन साल में उसकी साज-सज्जा पर 45 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं!
ऐसा नहीं है कि विपक्ष ने दावा किया है कि केजरीवाल ने अपने घर की साज-सज्जा पर इतना खर्च किया है। यह दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग यानी पीडब्लुडी की आंकड़ा है कि 2020 से 2023 के बीच उनके बंगले छह, फ्लैग स्टाफ रोड के रेनोवेशन पर 44.78 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। उसके बाद भाजपा ने इसका मुद्दा बनाया है। यह आंकड़ा हैरान करने वाला है क्योंकि पुरानी दिल्ली के जिस इलाके में वे रहते हैं वहां इतनी रकम में एक हजार गज जमीन के साथ कोठियों की कीमत इतनी होती है। उनके बंगले की साज-सज्जा पर खर्च का पूरा ब्योरा सार्वजनिक हो गया।
सिर्फ रसोई घर 1.1 करोड़ रुपए का बना है। आठ-आठ लाख के परदे लगे हैं। विदेश से लाया गया मार्बल लगा है। सोचें, वे यह कह कर सत्ता में आए थे कि बंगला नहीं चाहिए, गाड़ी नहीं चाहिए, बड़ा वेतन नहीं चाहिए। लेकिन अब घर की सजावट पर 45 करोड़ खर्च करते हैं, वेतन भी बढ़ा लिया है और कई गाड़ियों का काफिला उनके साथ चलता है, उनका भी रूट लगता है और ट्रैफिक रोका जाता है। यह सब पहले से हो रहा है लेकिन बंगले की सजावट के खर्च का जो ब्योरा सामने आया है वह उनकी राजनीति पर भारी पड़ने वाला है।