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देवगौड़ा परिवार की चिंता

कर्नाटक में जेडीएस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने अब यह कहना बंद कर दिया है कि उनकी पार्टी राज्य में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाएगी। कुछ समय पहले तक वे बयान दे रहे थे कि इस बार कांग्रेस और भाजपा की बजाय लोग जेडीएस को चुनेंगे। लेकिन चुनाव की घोषणा के ठीक पहले जो चुनावी सर्वेक्षण आया उसमें जेडीएस की स्थिति कमजोर होने का अनुमान जाहिर किया गया। आमतौर पर जेडीएस को 40 के आसपास सीटें मिलती हैं लेकिन इस बार के सर्वेक्षणों में पार्टी को 30 के आसपास सीटें मिलने का अनुमान जाहिर किया गया है। तभी अब जेडीएस नेताओं की प्राथमिकता बदल गई है। अब किसी तरह से इतनी सीटें हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है कि सरकार बनाने में कोई भूमिका बने और राज्यसभा की एक सीट जीतने लायक स्थिति हो।

सो, पूरा देवगौड़ा परिवार किसी तरह से आपसी झगड़े को सुलझा कर ज्यादा से ज्यादा सीट जीतने की रणनीति बनाने में लगा है। माना जा रहा है कि कर्नाटक में किंगमेकर बनने या सत्ता की चाबी हासिल करने लायक सीटें प्राप्त करने में सबसे बड़ी बाधा देवगौड़ा परिवार का आपसी झगड़ा है। एचडी कुमारस्वामी ने इस बार अपनी पत्नी अनिता कुमारस्वामी को टिकट नहीं देने का फैसला किया है। उनकी जगह उनके बेटे निखिल चुनाव लड़ेंगे, जो पिछली बार लोकसभा का चुनाव हार गए थे। इस तरह संतुलन बनाने का प्रयास किया गया है। दोनों भाइयों के परिवार से दो-दो लोग विधायक या सांसद रहेंगे। कुमारस्वामी और रेवन्ना विधानसभा लड़ेंगे और चूंकि रेवन्ना के बेटे प्रजवाल सांसद हैं तो कुमारस्वामी के बेटे निखिल को विधानसभा की टिकट मिलेगी। इसके  अलावा परिवार का कोई नहीं लड़ेगा। परिवार का गढ़ माने जाने वाले हासन में भी बाहरी व्यक्ति को टिकट देने की तैयारी है ताकि किस तरह से सीटों की संख्या बढ़ाई जा सके।

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