पिछले तीन महीने में चार राज्यों के मुख्यमंत्री बदले हैं और आने वाले दिनों में कुछ और राज्यों के मुख्यमंत्री बदल सकते हैं। मुख्यमंत्री बदल कर कांग्रेस और भाजपा दोनों शासन की विफलता के आरोपों से मुक्त होना चाहते हैं और साथ ही जातीय संतुलन साधने का प्रयास कर रहे हैं। दोनों को इसमें कितनी कामयाबी मिलेगी यह नहीं कहा जा सकता है कि लेकिन दोनों पार्टियों के राजनीतिक प्रचार और मुख्यमंत्री चुनने के लिए तय पैमाने की तुलना से कुछ दिलचस्प नतीजे निकलते हैं। भाजपा इस बात पर जोर देती है कि वह पिछड़ों, दलितों और वंचितों पर ध्यान देती है लेकिन उसके मुख्यमंत्री इन समुदायों से नहीं आते हैं। दूसरी ओर कांग्रेस इस पर ज्यादा जोर नहीं देती है, लेकिन उसके मुख्यमंत्री दलित और पिछड़े ही हैं। congress cm vs bjp
कांग्रेस पार्टी ने पंजाब में चेक-मेट यानी शह और फिर मात करने वाला दांव चला है। उसने देश की सबसे बड़ी दलित आबादी वाले राज्य को उसका पहला दलित मुख्यमंत्री दिया है। जाट सिख नेता कैप्टेन अमरिंदर सिंह को हटा कर कांग्रेस ने रामदासिया सिख समुदाय के चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया है। इस समय देश के 28 राज्यों में वे इकलौते दलित मुख्यमंत्री हैं। सोचें, यह कितनी बड़ी बात है। देश की लगभग 16 फीसदी आबादी का सिर्फ एक मुख्यमंत्री! इसके अलावा कांग्रेस के दो मुख्यमंत्री और हैं, जो दोनों पिछड़े समुदाय के हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत माली जाति से आते हैं तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कुर्मी जाति से आते हैं।
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अब अगर भाजपा के मुख्यमंत्रियों को देखें तो शिवराज सिंह चौहान इकलौते मुख्यमंत्री हैं, जो पिछड़ी जाति से आते हैं। बाकी सारे मुख्यमंत्री या तो सवर्ण हैं या राज्यों की मजबूत जातियों से आते हैं। गुजरात में भाजपा ने जैन वैश्य समाज के विजय रुपाणी को हटा कर पाटीदार समाज के भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया है। कर्नाटक में भी सबसे मजबूत लिंगायत समुदाय के बीएस येदियुरप्पा को हटा कर भाजपा ने लिंगायत समुदाय के ही बासवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया है। भाजपा ने तीसरा बदलाव उत्तराखंड में किया था, जहां सवर्ण ठाकुर समाज के तीरथ सिंह रावत को हटा कर उन्हीं की जाति के पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाया गया।
उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री क्रमश योगी आदित्यनाथ और जयराम ठाकुर भी राजपूत जाति से आते हैं। हरियाणा में भाजपा ने पंजाबी खत्री समाज के मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया है। असम में आदिवासी समाज से आने वाले सर्बानंद सोनोवाल को हटा कर भाजपा ने ब्राह्मण समाज के हिमंता बिस्वा सरमा को मुख्यमंत्री बनाया है और त्रिपुरा में कायस्थ जाति के बिप्लब देब मुख्यमंत्री हैं। हालांकि केंद्र सरकार में जरूर पिछड़े, दलित और आदिवासी मंत्रियों की संख्या में इजाफा हुआ है। अभी इन तीन समुदायों से कुल 46 मंत्री हैं। प्रधानमंत्री खुद ही अति पिछड़ी जाति से आते हैं इसलिए संभव है कि भाजपा को उनके अलावा राज्यों में कोई पिछड़ा चेहरा दिखाने की जरूरत महसूस नहीं होती हो।
कांग्रेस सीएम बनाम भाजपा सीएम का फर्क
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