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कर्नाटक में करप्शन का मुद्दा बनाना मुश्किल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रयास में कमी नहीं कर रहे हैं लेकिन कर्नाटक में करप्शन का मुद्दा नहीं बन पा रहा है। हाल में कई मीडिया एजेंसियों के लिए चुनावी सर्वे हुए और कई स्वतंत्र एजेंसियों ने भी सर्वे किया। उनको यह फीडबैक मिली है कि कर्नाटक के लोग यह मानने में हिचक रहे हैं कि कांग्रेस के नेता करप्ट हैं और भाजपा में करप्शन नहीं है। वे भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे भाजपा नेताओं के नाम भी लेते हैं। हालांकि सर्वे करने वाली एजेंसियों का एक निष्कर्ष यह भी है कि करप्शन के मुद्दे से फर्क नहीं पड़ता है। चुनाव सर्वे और आंकडों का विश्लेषण करने वाली सबसे विश्वसनीय एजेंसियों में से एक सीएसडीएस ने भी कुछ समय पहले बताया था कि उसने 13 राज्यों में सर्वे किया था, जिसमें लोगों ने कहा था कि भ्रष्टाचार पहले से बढ़ा है और इसके बावजूद उनमें से छह राज्यों में सत्तारूढ़ दल की वापसी हुई थी।

बहरहाल, कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा को लेकर भाजपा की जो दुविधा है वह भी इसी वजह से है कि उनके ऊपर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हैं। यह अलग बात है कि उन पर अदालतों ने रोक लगा दी या वे बरी हो गए या कार्रवाई नहीं हुई। लेकिन यह तथ्य है कि पहली बार उनकी कमान में भाजपा की सरकार बनी थी तो भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद ही उनको हटना पड़ा था। हालांकि इससे उनकी लोकप्रियता पर असर नहीं हुआ और न चुनाव जिताने की उनकी क्षमता कम हुई। वे अब भी भाजपा के लिए सबसे ज्यादा वोट जुटाने वाले नेता हैं फिर भी अगर येदियुरप्पा को मंच पर खड़ा करके भाजपा के नेता कांग्रेस के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं तो लोग उसे गंभीरता से नहीं लेंगे।

येदियुरप्पा अकेले नहीं हैं, जिनकी वजह से भ्रष्टाचार का मुद्दा नहीं बन पा रहा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता केएस ईश्वरप्पा को भ्रष्टाचार के आरोप में मंत्री पद से हटाया गया था। एक ठेकेदार ने बिल पास कराने में पैसे मांगने का आरोप लगाया था और बाद में उसने खुदकुशी भी कर ली थी। इसके बाद ही ईश्वरप्पा हटाए गए थे। हालांकि पुलिस ने जांच में उनको क्लीन चिट दे दी लेकिन उसके बाद उनके मंत्री नहीं बनाया गया। कर्नाटक की भाजपा सरकार पर 40 फीसदी कमीशन मांगने का आरोप है और यह आरोप कर्नाटक स्टेट कांट्रैक्टर्स एसोसिएशन से चिट्ठी लिख कर लगाया था।

भाजपा के विधायक मदल विरूपक्षपा पिछले दिनों गिरफ्तार हुए हैं। उनके घर से आठ करोड़ रुपया बरामद हुआ। उससे पहले लोकायुक्त ने उनके कार्यालय पर छापा मारा था, जहां उनके बेटे को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया था। उनका बेटा कर्नाटक प्रशासनिक सेवा का अधिकारी था। भाजपा के एक अन्य विधायक रमेश जरकिहोली एक महिला से बलात्कार के आरोप में फंसे तो मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उनका एक कथित वीडियो भी वायरल हुआ था। सो, भाजपा के इतने नेताओं के ऊपर इतने तरह के भ्रष्टाचार या दूसरी गड़बड़ियों के आरोप लगे हैं कि पार्टी के नेता भ्रष्टाचार का मुद्दा नहीं बना पा रहे हैं।

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