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मजदूरों को क्वरैंटाइन करने की मुश्किल

देश के अलग अलग हिस्सों से अपने राज्य को लौट रहे मजदूरों को लेकर बहुत कुछ कहा-सुना गया है और अब सरकार ट्रेनों से उन्हें पहुंचा रही है। पर अब अलग तरह का संकट खड़ा हो गया है। इन मजदूरों को क्वरैंटाइन सेंटर में रखना या आइसोलेशन में रखना बहुत भारी पड़ रहा है। राज्य सरकारें कायदे से उन्हें संभाल नहीं पा रही हैं। कई जगह मजदूरों के भागने या नियमों का उल्लंघन करने की खबरें हैं। यह ज्यादा चिंता की बात इसलिए है क्योंकि देश भर से जाने वाले मजदूरों में कोरोना वायरस के संक्रमितों का बहुत ऊंचा प्रतिशत है। बिहार में ही आठ फीसदी मजदूर संक्रमित मिल रहे हैं। अगर ये खुले रहे तो उनकी वजह से बड़ी मुसीबत हो सकती है।

आइसोलेशन और क्वरैंटाइन से बचने के लिए मजदूर स्टेशन आने से पहले ही चेन खींच कर ट्रेन से उतर जा रहे हैं या स्टेशन से पहले आउटर सिग्नल पर ट्रेन धीमी हो रही है तो उससे कूद कर भाग जा रहे हैं। भुवनेश्वर के पास एक ट्रेन से दो सौ मजदूरों के उतर कर भागने की खबर है तो बिहार में कई जगह के ऐसे वीडियो दिखे हैं, जिनमें मजदूर ट्रेन से उतर कर भाग रहे हैं। आईसोलेशन से बचने की उनकी कोशिश का एक कारण तो यह बताया जा रहा है कि क्वरैंटाइन सेंटर्स में कोई सुविधा नहीं होने की खबर उनको मिल रही है।

बिहार से यह भी खबर आई कि एक अधिकारी ने सेंटर में रखे गए सारे मजदूरों को घर जाने दिया और सेंटर में ताला लगा दिया। बिहार में ही एक क्वरैंटाइन सेंटर में रात में नाच-गाने का आयोजन होने की खबर है। अगर इन सबको काबू नहीं किया गया तो बिहार, उत्तर प्रदेश, ओड़िशा आदि राज्यों में जहां बड़ी संख्या मजदूर लौट रहे हैं वहां कोरोना का संक्रमण ज्यादा तेजी से फैलने लगेगा।

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