यह बड़ी विडंबना है कि चुनाव आयोग एक तरफ कहता है कि वह देश भर के सारे चुनाव एक साथ कराने में सक्षम है और दूसरी ओर दो राज्यों के चुनाव उससे एक साथ नहीं हो पाते हैं। कई राज्यों में अब भी छह-सात चरणों में चुनाव होते हैं। हिमाचल प्रदेश और गुजरात का विधानसभा चुनाव इसकी मिसाल है। पिछली बार यानी 2017 में दोनों राज्यों के चुनाव अलग अलग हुए थे। एक महीने के अंतर पर दोनों राज्यों के चुनाव हुए। पहले हिमाचल प्रदेश का चुनाव हुआ और मतदान के बाद नतीजों के लिए पार्टियों और उम्मीदवारों को करीब डेढ़ महीने तक इंतजार करना पड़ा था।
इस बार उम्मीद की जा रही है कि दोनों राज्यों के चुनाव एक साथ हो सकते हैं। 2017 में हिमाचल प्रदेश का विधानसभा चुनाव नौ नवंबर को हुआ था। राज्य की सभी 68 विधानसभा सीटों पर एक ही दिन नौ नवंबर को वोट डाले गए थे। लेकिन उसके बाद नतीजों के लिए करीब डेढ़ महीने इंतजार करना पड़ा क्योंकि हिमाचल प्रदेश के एक महीने बाद गुजरात में विधानसभा चुनाव हुए और दोनों के वोटों की गिनती एक साथ हुई। गुजरात में 182 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में नौ और 14 दिसंबर को वोट डाले गए थे। इसके चार दिन बाद 18 दिसंबर को दोनों राज्यों के वोटों की गिनती हुई थी।
सोचें, दो छोटे छोटे राज्य हैं हिमाचल प्रदेश और गुजरात। दोनों को मिला कर कुल ढाई सौ विधानसभा की सीटें हैं लेकिन चुनाव आयोग ने तीन चरण में इन ढाई सौ सीटों पर चुनाव कराया था और चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने में दो महीने का समय लगा था। हिमाचल प्रदेश में 18 अक्टूबर को नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई थी यानी उससे पहले ही आचार संहिता लग गई थी, जो 18 दिसंबर को नतीजे आने तक जारी रही थी। गुजरात में चुनाव की प्रक्रिया नवंबर में शुरू हुई थी।
सो, इस बार चुनाव में दो सवाल हैं। पहला तो यह कि क्या दोनों राज्यों के चुनाव एक साथ होंगे और दूसरा यह कि चुनाव की घोषणा कब होगी? पिछली बार चुनाव की प्रक्रिया 20 दिसंबर को पूरी हुई थी। इस लिहाज से आयोग के पास अभी समय है। अगर दोनों चुनाव साथ कराने हैं तो नवंबर में भी चुनाव की घोषणा हो सकती है। लेकिन पिछले दिनों गुजरात के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल ने कहा था कि नवंबर के अंत तक चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से चुनाव की घोषणा से पहले भाजपा के नेता ही चुनाव का शिड्यूल जारी कर देते हैं। सो, सीआर पाटिल ने जो कहा उस लिहाज से कह सकते हैं कि इसी महीने दोनों राज्यों में चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और नवंबर अंत तक चुनाव प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। ऐसा होगा तो इस बार 14 दिसंबर को मलमास शुरू होने से पहले दोनों राज्यों में नई सरकार बन जाएगी।
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