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कर्ज की किश्तों का महाजाल

ByNI Political,
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कर्ज की किश्तों का महाजाल
खबर है कि सरकार लोगों को कर्ज की किश्तें चुकाने से तीन महीने की और छूट देने जा रही है। सरकार ने पहले ही तीन महीने की छूट दी। यानी मार्च से मई तक लोगों को किश्त भरने से छूट मिली और कहा गया कि अगर लोग मोराटोरियम की इस योजना का लाभ उठाते हैं तो बैंक उनको डिफॉल्टर घोषित नहीं करेंगे और न उनका सिबिल स्कोर खराब होगा। अब कहा जा रहा है कि सरकार इसे बढ़ा कर अगस्त तक करन जा रही है। लॉकडाउन की अवधि बढ़ने की वजह से सरकार यह कदम उठा रही है और इससे यह अंदाजा भी लग रहा है कि मई के अंत में लॉकडाउन खत्म नहीं होने वाला है। पर इस कथित सुविधा से असली मुश्किल बैंकों और उसके ग्राहकों को है। सरकार सिर्फ मोराटोरियम दे रही यानी कर्ज की किश्तें टलवा रही है। सरकार न तो ब्याज की दरें कर रही है और न ब्याज माफ हो रहा है। ऐसे में लोग कर्ज के दुश्चक्र में फंसते जा रहे हैं। बैंक लोगों के कर्ज को रिस्ट्रक्चर कर रहे हैं और इसके साथ ही उनकी किश्तें बढ़ती जा रही हैं। बैंकों को तत्काल नकदी की कमी हो रही है तो दूसरी ओर कर्ज लेने वाल मध्य वर्ग के लोगों पर कर्ज का और बोझ बढ़ रहा है। अगर वे छह महीने तक कर्ज की किश्तें नहीं चुकाते हैं तो उन्हें कर्ज की अवधि खत्म होने पर इससे दोगुने से ज्यादा किश्तें चुकानी पड़ेंगी। कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग में आम लोगों को कॉरपोरेट वाली सुविधा नहीं मिल रही है। उनका कर्ज कम नहीं हो रहा है, बल्कि वास्तविक किस्त से कई गुना ज्यादा किश्त बढ़ जा रही है। सो, सरकार लोगों को कर्ज के महाजाल में फंसाने की बजाय ब्याज दरों में कमी करे या पूरी तरह से ब्याज माफ करे।
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