यह लाख टके का सवाल है, जिस पर देश के राजनेताओं से लेकर अधिकारियों और न्यायपालिका व मीडिया सहित सबकी नजर है कि प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुख के तौर पर संजय मिश्रा को फिर सेवा विस्तार मिलेगा या कोई नया ईडी नियुक्ति होगा। उनको मिला एक साल का दूसरा सेवा विस्तार 19 नवंबर को समाप्त हो रहा है और उससे एक दिन पहले 18 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में उनके मामले की सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में संजय मिश्रा को नवंबर 2021 में दिए गए सेवा विस्तार को चुनौती दी गई है और उनको फिर से सेवा विस्तार पर रोक लगाने की मांग की गई है।
ध्यान रहे सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दो टूक कहा था कि वह संजय मिश्रा को सेवा विस्तार न दे। लेकिन सरकार ने उनको सेवा विस्तार देने के लिए कानून ही बदल दिया। नए कानून के मुताबिक केंद्र सरकार सीबीआई और ईडी के प्रमुख को रिटायर होने के बाद एक एक साल का तीन सेवा विस्तार दे सकती है। यानी दो साल के फिक्स्ड कार्यकाल के बाद तीन सेवा विस्तार से उनका कार्यकाल अधिकतम पांच साल तक किया जा सकता है। लेकिन सबको पता है कि रिटायर होने के बाद सेवा विस्तार पर काम करने वाले अधिकारी किस तरह से काम करते हैं!
ध्यान रहे संजय मिश्रा नवंबर 2018 से ईडी हैं। उनका दो साल का फिक्स्ड कार्यकाल नवंबर 2020 में पूरा हुआ और उसके बाद उनको एक एक साल के दो सेवा विस्तार मिले। अब अगर केंद्र सरकार उनको एक और सेवा विस्तार देती है तो अगले साल नवंबर में उनके कार्यकाल का पांच साल पूरा हो जाएगा और नए कानून के मुताबिक भी उनको अनिवार्य रूप से रिटायर होना होगा। उसके तुरंत बाद लोकसभा के चुनाव होने हैं। इसलिए उस समय कोई नया ईडी नियुक्त करने की बजाय संभव है कि सरकार अभी अपने भरोसे के किसी नए अधिकारी को नियुक्त करे। हालांकि दो साल के फिक्स्ड कार्यकाल वाले अधिकारी से मनमाफिक काम लेना थोड़ा मुश्किल होता है। ध्यान रहे ईडी के दुरुपयोग के कई आरोप पिछले कुछ सालों में लगे हैं, जिन पर मुंबई की पीएमएलए कोर्ट ने संजय राउत वाले मामले में मुहर भी लगा दी। अदालत ने कहा कि ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी है और बेवजह हुई थी।